राजस्थान में ऊर्जा संसाधन
ऊर्जा संसाधनों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
1 परम्परागत ऊर्जा संसाधन
2 गैर परम्परागत ऊर्जा संसाधन
1 परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत:-
I ताप विद्युत ऊर्जा:- राजस्थान में ऊर्जा की अधिकांश आपूर्ति ताप विद्युत से होती है।
सुपर स्टेशन :- कुल क्षमता 1000 मेगावाट से अधिक।
सुपर क्रिटिकल स्टेशन:- इसमें कुल क्षमता 1000 मेगावाट या इससे अधिक तथा साथ ही किसी एक इकाई की क्षमता 500 मेगावाट से अधिक होती है।
i सूरतगढ़ सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन:- (सूरतगढ़ -गंगानगर)
यहां 250 मेगावाट की 6 इकाई कार्यरत है जिसकी कुल क्षमता 1500 मेगावाट है।
वर्तमान में यहां 660-660 मेगावाट की 7वीं व् 8वीं इकाई की स्थापना की जा रही है।
यह थर्मल पॉवर स्टेशन राजस्थान में सर्वाधिक विधुत उत्पादन करता है।
ii कोटा सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन :- यहाँ 7 इकाई कार्यरत है। जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 1250 मेगावाट है।
iii छबड़ा व् कवई पॉवर स्टेशन - बारां
iv कालीसिंध पॉवर स्टेशन - झालावाड़
v बांसवाड़ा पॉवर स्टेशन - बांसवाड़ा
लिग्नाइट आधारित ताप विधुत गृह:-
i बाड़मेर- गिरल, जालिप्पा, कपुरडी, भाद्रेश
ii बीकानेर- बरसिंहसर, बिथनोक व् हाड़ला (नेवली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन द्वारा संचालित) तथा गुढा (बीकानेर) निजी क्षेत्र में संचालित
गैस आधारित विधुत गृह:-
1 रामगढ़- जैसलमेर
2 अंता - बारां
3 धौलपुर - धौलपुर कम्बाइन साईकिल पॉवर प्लांट
नए प्रोजेक्ट:-
i केशोरायपाटन - बूंदी
ii झामरकोटड़ा - उदयपुर
यूरेनियम /परमाणु/आण्विक/नाभिकीय ऊर्जा:-
i राजस्थान ऑऑटोमेटिक पॉवर प्लांट (RAPP ) रावतभाटा चितौड़गढ़ में 1965 में कनाडा के सहयोग से स्थापित किया गया। जिसमे 1973 में उत्पादन प्रारम्भ हुआ।
ii माही न्यूक्लियर पॉवर प्लांट:- बांसवाड़ा में स्थापित।
II जल विधुत ऊर्जा:-
1 चम्बल परियोजना:- यह राजस्थान व मध्य प्रदेश की 50: 50 की संयुक्त परियोजना है इस परियोजना में निम्न बांधों का निर्माण किया गया है-
1 गांधी सागर बांध - मध्य प्रदेश
2 राणा प्रताप सागर बांध - चित्तौड़गढ़
3 जवाहर सागर बांध - कोटा
4 कोटा बैराज बांध - कोटा
2 माही परियोजना :- माही परियोजना राजस्थान व गुजरात की संयुक्त परियोजना 45:55% की है इसमें माही नदी पर बांसवाड़ा के बोरखेड़ा गांव में माही बजाज सागर बांध का निर्माण किया गया है तथा गुजरात में प्रवेश करते ही माही नदी पर ही कडाणा बांध का निर्माण किया गया है माही बजाज सागर बांध पर स्थित विद्युत गृह से संपूर्ण विद्युत(140मेगावाट) राजस्थान को प्राप्त होती है।
3 भाखड़ा नांगल परियोजना:- भाखड़ा नांगल परियोजना सतलज नदी पर हिमाचल प्रदेश एवं पंजाब में स्थित है राजस्थान को इससे 15.2 प्रतिशत लाभ प्राप्त होता है।
4 व्यास/पोंग परियोजना:- हिमाचल में व्यास नदी पर पोंग व पांडेय नामक स्थानों पर बांधों का निर्माण किया गया है तथा देहर में एक विद्युत गृह की स्थापना की गई है। इससे राजस्थान को 30% लाभ प्राप्त होता है।
5 नाथपा झाकरी परियोजना:- सतलज नदी पर हिमाचल प्रदेश में स्थित है।
6 सलाल परियोजना झेलम नदी पर जम्मूकश्मीर में।
7 दुलहस्ती परियोजना झेलम नदी पर जम्मू कश्मीर में।
8 बगलिहार परियोजना झेलम नदी पर जम्मु कश्मीर में।
9 उरी परियोजना झेलम नदी पर जम्मु कश्मीर में।
10 चमेरा परियोजना रावी नदी पर हिमाचलप्रदेश में।
11 पार्वती परियोजना पार्वती नदी पर हिमाचलप्रदेश में।
12 टिहरी परियोजना भागीरथी व् भिलांगना नदी पर उत्तराखंड में।
13 टनकपुर परियोजना शरद नदी पर उत्तराखंड में।
14 राहुघट परियोजना चम्बल नदी पर करौली राजस्थान में।
15 जाखम परियोजना चम्बल नदी पर प्रतापगढ़ में।
16 अनास परियोजना चम्बल नदी पर बांसवाड़ा में।
17 इन्दिरा गांधी परियोजना :-
i अनूपगढ़ व् सूरतगढ़ गंगानगर में
ii पूंगल व् बिरसलपुर बीकानेर में।
2 गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत:-
अ सौर ऊर्जा:- राजस्थान में सौर ऊर्जा के विकास की सर्वाधिक संभावना है तथा सौर ऊर्जा उत्पादन में राजस्थान का प्रथम स्थान है SEEZ सोलर एनर्जी इंटरप्राइजेज जॉन में जैसलमेर बाड़मेर जोधपुर को सामिल किया गया है।
सौर वेधशाला - मथानिया जोधपुर में
सौर ऊर्जा संयंत्र - गोरीद झुंझुनू में
पहला सोलर पार्क - बदड़ला जोधपुर में
वर्तमान में 4000 मेगावाट का सबसे बड़ा सोलर पावर प्रोजेक्ट सांभर में स्थापित करने की योजना बनाई गई है ।
जवाहरलाल नेहरू सोलर मिशन 2010:- इस मिशन के अधिकांश प्रोजेक्ट राजस्थान को दिए गए हैं तथा तीन शहरों को सोलर सिटी घोषित किया गया है नंबर 1 जयपुर 2 अजमेर 3 जोधपुर
पहली सौर ऊर्जा नीति 2011 में तथा नई सौर ऊर्जा नीति 2014 में लागू की गई।
पावर पैक योजना :- ऐसे क्षेत्र जहां विद्युत ग्रिड नहीं पहुंचा उन क्षेत्रों को सौर ऊर्जा से रोशन करने की योजना पावर पैक योजना है।
ब पवन ऊर्जा:-
1 अमरसागर - जैसलमेर (पहली परियोजना)
2 देवगढ़ - प्रतापगढ़
3 बिठड़ी - जोधपुर
4 वर्तमान में जैसलमेर के बड़ा बैग, सोढा बांधन, लोदरवा व् सीकर के हर्ष में पवन ऊर्जा परियोजना की स्थापना की गई है।
पवन ऊर्जा निति 2012 में लागु की गई।
स बायोमास उर्जा परियोजना:-
i पदमपुर गंगानगर में पहला सयंत्र स्थापित किया गया।
राजस्थान में बायोमास ऊर्जा उत्पादन हेतु गन्ने की खोई सरसो की तूड़ी व् इजराइली बबुल आदि वानस्पतिक अपशिष्ट उपलब्ध है ।
द बायोगैस ऊर्जा :-
सर्वाधिक सयंत्र उदयपुर व् जयपुर में।
बायोगैस सयंत्र के दीं बंधू मॉडल व् खादी ग्रामोद्योग के मॉडल प्रचलन में है।
य भूतापीय ऊर्जा :- राज्य में भूतापीय ऊर्जा के उत्पादन की सम्भावना माउंटआबू में है ।
गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के विकास हेतु प्रयास:-
i राजस्थान ऊर्जा विकास अभिकरण REDA 1995
ii राजस्थान स्टेट पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड RSPCL1995
iii 2002 me REDA व् RSPCL को मिलाकर राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम RREC (राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी कॉर्पोरेशन) का गठन किया गया ।
iv 1957 में राजस्थान में ऊर्जा उत्पादन वितरण व् नियमन हेतु राजस्थान राज्य विधुत मण्डल की स्थापना की गई।जिसके स्थान पर जुलाई 2000 में निम्न 5 कम्पनियों का गठन किया गया-
1 राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड RVVNL
2 राजस्थान राज्य विद्युत प्रसार निगम लिमिटेड RVPNL
3 अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड AVVNL
4 जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड JVVNL
5 जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड JVVNL
UDAY उदय योजना :- उज्जवल डिस्कॉम इनश्योरेन्स योजना:- डिस्कॉम कम्पनी को घाटे से उबारने के लिए शुरू की गई योजना।
उजाला UJALA योजना :- उन्नत ज्योति LED लाइट फॉर ऑल:- रियायती दर पर LED लाइट उपलब्ध करवाने की योजना।
सोभाग्य SHOBHAGY योजना :- सहज बिजली हर घर योजना:- ग्रामीण व् शहरी क्षेत्र के गरीबी रेखा से निचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को मुफ़्त विद्युत कनेक्शन देने की योजना सितम्बर 2017 में शुरू की गई।
ऊर्जा संसाधनों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
1 परम्परागत ऊर्जा संसाधन
2 गैर परम्परागत ऊर्जा संसाधन
1 परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत:-
I ताप विद्युत ऊर्जा:- राजस्थान में ऊर्जा की अधिकांश आपूर्ति ताप विद्युत से होती है।
सुपर स्टेशन :- कुल क्षमता 1000 मेगावाट से अधिक।
सुपर क्रिटिकल स्टेशन:- इसमें कुल क्षमता 1000 मेगावाट या इससे अधिक तथा साथ ही किसी एक इकाई की क्षमता 500 मेगावाट से अधिक होती है।
i सूरतगढ़ सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन:- (सूरतगढ़ -गंगानगर)
यहां 250 मेगावाट की 6 इकाई कार्यरत है जिसकी कुल क्षमता 1500 मेगावाट है।
वर्तमान में यहां 660-660 मेगावाट की 7वीं व् 8वीं इकाई की स्थापना की जा रही है।
यह थर्मल पॉवर स्टेशन राजस्थान में सर्वाधिक विधुत उत्पादन करता है।
ii कोटा सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन :- यहाँ 7 इकाई कार्यरत है। जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 1250 मेगावाट है।
iii छबड़ा व् कवई पॉवर स्टेशन - बारां
iv कालीसिंध पॉवर स्टेशन - झालावाड़
v बांसवाड़ा पॉवर स्टेशन - बांसवाड़ा
लिग्नाइट आधारित ताप विधुत गृह:-
i बाड़मेर- गिरल, जालिप्पा, कपुरडी, भाद्रेश
ii बीकानेर- बरसिंहसर, बिथनोक व् हाड़ला (नेवली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन द्वारा संचालित) तथा गुढा (बीकानेर) निजी क्षेत्र में संचालित
गैस आधारित विधुत गृह:-
1 रामगढ़- जैसलमेर
2 अंता - बारां
3 धौलपुर - धौलपुर कम्बाइन साईकिल पॉवर प्लांट
नए प्रोजेक्ट:-
i केशोरायपाटन - बूंदी
ii झामरकोटड़ा - उदयपुर
यूरेनियम /परमाणु/आण्विक/नाभिकीय ऊर्जा:-
i राजस्थान ऑऑटोमेटिक पॉवर प्लांट (RAPP ) रावतभाटा चितौड़गढ़ में 1965 में कनाडा के सहयोग से स्थापित किया गया। जिसमे 1973 में उत्पादन प्रारम्भ हुआ।
ii माही न्यूक्लियर पॉवर प्लांट:- बांसवाड़ा में स्थापित।
II जल विधुत ऊर्जा:-
1 चम्बल परियोजना:- यह राजस्थान व मध्य प्रदेश की 50: 50 की संयुक्त परियोजना है इस परियोजना में निम्न बांधों का निर्माण किया गया है-
1 गांधी सागर बांध - मध्य प्रदेश
2 राणा प्रताप सागर बांध - चित्तौड़गढ़
3 जवाहर सागर बांध - कोटा
4 कोटा बैराज बांध - कोटा
2 माही परियोजना :- माही परियोजना राजस्थान व गुजरात की संयुक्त परियोजना 45:55% की है इसमें माही नदी पर बांसवाड़ा के बोरखेड़ा गांव में माही बजाज सागर बांध का निर्माण किया गया है तथा गुजरात में प्रवेश करते ही माही नदी पर ही कडाणा बांध का निर्माण किया गया है माही बजाज सागर बांध पर स्थित विद्युत गृह से संपूर्ण विद्युत(140मेगावाट) राजस्थान को प्राप्त होती है।
3 भाखड़ा नांगल परियोजना:- भाखड़ा नांगल परियोजना सतलज नदी पर हिमाचल प्रदेश एवं पंजाब में स्थित है राजस्थान को इससे 15.2 प्रतिशत लाभ प्राप्त होता है।
4 व्यास/पोंग परियोजना:- हिमाचल में व्यास नदी पर पोंग व पांडेय नामक स्थानों पर बांधों का निर्माण किया गया है तथा देहर में एक विद्युत गृह की स्थापना की गई है। इससे राजस्थान को 30% लाभ प्राप्त होता है।
5 नाथपा झाकरी परियोजना:- सतलज नदी पर हिमाचल प्रदेश में स्थित है।
6 सलाल परियोजना झेलम नदी पर जम्मूकश्मीर में।
7 दुलहस्ती परियोजना झेलम नदी पर जम्मू कश्मीर में।
8 बगलिहार परियोजना झेलम नदी पर जम्मु कश्मीर में।
9 उरी परियोजना झेलम नदी पर जम्मु कश्मीर में।
10 चमेरा परियोजना रावी नदी पर हिमाचलप्रदेश में।
11 पार्वती परियोजना पार्वती नदी पर हिमाचलप्रदेश में।
12 टिहरी परियोजना भागीरथी व् भिलांगना नदी पर उत्तराखंड में।
13 टनकपुर परियोजना शरद नदी पर उत्तराखंड में।
14 राहुघट परियोजना चम्बल नदी पर करौली राजस्थान में।
15 जाखम परियोजना चम्बल नदी पर प्रतापगढ़ में।
16 अनास परियोजना चम्बल नदी पर बांसवाड़ा में।
17 इन्दिरा गांधी परियोजना :-
i अनूपगढ़ व् सूरतगढ़ गंगानगर में
ii पूंगल व् बिरसलपुर बीकानेर में।
2 गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोत:-
अ सौर ऊर्जा:- राजस्थान में सौर ऊर्जा के विकास की सर्वाधिक संभावना है तथा सौर ऊर्जा उत्पादन में राजस्थान का प्रथम स्थान है SEEZ सोलर एनर्जी इंटरप्राइजेज जॉन में जैसलमेर बाड़मेर जोधपुर को सामिल किया गया है।
सौर वेधशाला - मथानिया जोधपुर में
सौर ऊर्जा संयंत्र - गोरीद झुंझुनू में
पहला सोलर पार्क - बदड़ला जोधपुर में
वर्तमान में 4000 मेगावाट का सबसे बड़ा सोलर पावर प्रोजेक्ट सांभर में स्थापित करने की योजना बनाई गई है ।
जवाहरलाल नेहरू सोलर मिशन 2010:- इस मिशन के अधिकांश प्रोजेक्ट राजस्थान को दिए गए हैं तथा तीन शहरों को सोलर सिटी घोषित किया गया है नंबर 1 जयपुर 2 अजमेर 3 जोधपुर
पहली सौर ऊर्जा नीति 2011 में तथा नई सौर ऊर्जा नीति 2014 में लागू की गई।
पावर पैक योजना :- ऐसे क्षेत्र जहां विद्युत ग्रिड नहीं पहुंचा उन क्षेत्रों को सौर ऊर्जा से रोशन करने की योजना पावर पैक योजना है।
ब पवन ऊर्जा:-
1 अमरसागर - जैसलमेर (पहली परियोजना)
2 देवगढ़ - प्रतापगढ़
3 बिठड़ी - जोधपुर
4 वर्तमान में जैसलमेर के बड़ा बैग, सोढा बांधन, लोदरवा व् सीकर के हर्ष में पवन ऊर्जा परियोजना की स्थापना की गई है।
पवन ऊर्जा निति 2012 में लागु की गई।
स बायोमास उर्जा परियोजना:-
i पदमपुर गंगानगर में पहला सयंत्र स्थापित किया गया।
राजस्थान में बायोमास ऊर्जा उत्पादन हेतु गन्ने की खोई सरसो की तूड़ी व् इजराइली बबुल आदि वानस्पतिक अपशिष्ट उपलब्ध है ।
द बायोगैस ऊर्जा :-
सर्वाधिक सयंत्र उदयपुर व् जयपुर में।
बायोगैस सयंत्र के दीं बंधू मॉडल व् खादी ग्रामोद्योग के मॉडल प्रचलन में है।
य भूतापीय ऊर्जा :- राज्य में भूतापीय ऊर्जा के उत्पादन की सम्भावना माउंटआबू में है ।
गैर परम्परागत ऊर्जा स्रोतों के विकास हेतु प्रयास:-
i राजस्थान ऊर्जा विकास अभिकरण REDA 1995
ii राजस्थान स्टेट पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड RSPCL1995
iii 2002 me REDA व् RSPCL को मिलाकर राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम RREC (राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी कॉर्पोरेशन) का गठन किया गया ।
iv 1957 में राजस्थान में ऊर्जा उत्पादन वितरण व् नियमन हेतु राजस्थान राज्य विधुत मण्डल की स्थापना की गई।जिसके स्थान पर जुलाई 2000 में निम्न 5 कम्पनियों का गठन किया गया-
1 राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड RVVNL
2 राजस्थान राज्य विद्युत प्रसार निगम लिमिटेड RVPNL
3 अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड AVVNL
4 जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड JVVNL
5 जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड JVVNL
UDAY उदय योजना :- उज्जवल डिस्कॉम इनश्योरेन्स योजना:- डिस्कॉम कम्पनी को घाटे से उबारने के लिए शुरू की गई योजना।
उजाला UJALA योजना :- उन्नत ज्योति LED लाइट फॉर ऑल:- रियायती दर पर LED लाइट उपलब्ध करवाने की योजना।
सोभाग्य SHOBHAGY योजना :- सहज बिजली हर घर योजना:- ग्रामीण व् शहरी क्षेत्र के गरीबी रेखा से निचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को मुफ़्त विद्युत कनेक्शन देने की योजना सितम्बर 2017 में शुरू की गई।
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