भारत का भूगोल : स्थिति, विस्तार, भौतिक प्रदेश
भारत की स्थिति :-
1अक्षांशीय स्थिति 2 देशांतरीय स्थिति
भारत अक्षांशों की दृष्टि से उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है जबकि देशांतरीय स्थिति के अनुसार पूर्वी देशांतर में स्थित है।
ग्लोब या विश्व में भारत की स्थिति:- ग्लोब या विश्व में भारत उत्तर पूर्वी गोलार्द्ध में स्थित है।
भारत का अक्षांश एवं देशांतरीय विस्तार :-
भारत का अक्षांशीय विस्तार 8°4' उत्तरी अक्षांश से प्रारंभ होकर 37°6' मिनट उत्तरी अक्षांश के मध्य स्थित है । जबकि भारत का देशांतरीय विस्तार 68°7' पूर्वी देशांतर से प्रारंभ होकर 97°25' पूर्वी देशांतर है।
भारत का विस्तार उत्तर में इंदिरा कॉल जम्मू-कश्मीर से प्रारंभ होकर दक्षिण में कन्याकुमारी तमिलनाडु तक है जिसके मध्य की कुल लंबाई 3214 किलोमीटर है।
जबकि पूर्व से पश्चिम की ओर विस्तार पूर्व में किबुथु अरुणाचल प्रदेश से प्रारंभ होकर गोरमोता गुजरात तक है जिसके मध्य की कुल चौड़ाई 2933 किलोमीटर है।
भारत का दक्षिणतम बिंदु 6°45' उत्तरी अक्षांश पर इंदिरा प्वाइंट/पारसन प्वाइंट/पिग्मेलियन प्वाइंट है।
सीमाएँ:-
1 स्थलीय सिमा 15200 km
2 तटीय सिमा 7516.6 km
तटीय सिमा को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
i मुख्य भूमि 6100 km ii द्वपीय 1416.6 km
1 भारत चीन सिमा (मेक मोहन रेखा) 3488 km । इस सिमा पर भारत के जम्मू कश्मीर ,हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम व् अरुणाचल प्रदेश राज्य स्थित है।
2 भारत पाकिस्तान सिमा (रेड क्लिफ) 3323 km । इस सिमा पर भारत के चार राज्य जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, गुजरात स्थित है।
3 भारत नेपाल सिमा 1751 km । इस सिमा पर भारत के उत्तराखंड उत्तरप्रदेश बिहार पश्चिमी बंगाल व् सिक्किम राज्य स्थित है।
4 भारत भूटान सिमा 699 km । इस सिमा पर सिक्किम असम व् अरुणाचल राज्य स्थित है।
5 भारत बांग्लादेश सिमा 4096.7 km । इस सिमा पर पश्चिम बंगाल असम मेघालय त्रिपुरा मिजोरम स्थित है।
6 भारत अफगानिस्तान सिमा 108 km ।
7 भारत म्यांमार सिमा 1643 km ।
भारत का भौतिक स्वरूप :-
भौतिक विशेषताएँ (उच्चावच) के आधार पर भारत को 4 भागों में विभाजित किया जा सकता है-
I उत्तरी पर्वतीय प्रदेश
II मध्य का विशाल मैदान
III प्रायद्वीपीय पठार
IV थार का मरुस्थल
V तटीय प्रदेश एवं द्वीप समूह
I उत्तरी पर्वतीय प्रदेश
यह भारत के उत्तरी व् पूर्वी राज्यो में 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर फेल हुआ है।जिसे 3 भागों में बांटा जा सकता है-
अ ट्रांस हिमालय
ब हिमालय
स पूर्वांचल की पहाड़ियाँ
अ ट्रांस हिमालय:- इसमें पूर्व पश्चिम दिशा में फेली 4 पर्वत श्रेणियाँ है। जिनका उत्तर से दक्षिण की और निम्न क्रम है-
i काराकोरम श्रेणी
ii लद्दाख श्रेणी
iii जास्कर श्रेणी
iv कैलाश श्रेणी
काराकोरम श्रेणी को एशिया की रीड कहा जाता है इस श्रेणी में भारत की सर्वोच्च चोटी K2 (गॉडविन ऑस्टिन) स्थित हैं जिसकी ऊँचाई 8611 मीटर है । इस श्रेणी में प्रमुख ग्लेशियर हिमनद या हिमानी है जो कि सियाचिन में स्थित है। इस श्रेणी में बियाफो, बालटेरो, बाटूरा व हिष्पार अन्य प्रमुख ग्लेशियर हैं।
प्रमुख दर्रे :- 1 काराताघला/ काराकोरम दर्रा व अघिल दर्रा:- कश्मीर को मध्य एशिया से जोड़ते हैं
2 चांगला 3 लनकला 4 इमिसला दर्रा :- कश्मीर को तिब्बत से जोड़ते है ।
5 खारदुंगला दर्रा :-लेह को नुब्रा घाटी से जोड़ता है इस क्षेत्र में दो कूबड़ वाले ऊंट पाए जाते हैं यह सबसे ऊंचा मोटर गाड़ी जाने योग्य दर्रा है
ट्रांस हिमालय की सबसे प्रमुख नदी सिंधु है जो तिब्बत में कैलाश पर्वत श्रेणी पर मानसरोवर झील से निकलकर कश्मीर में लद्दाख एवं जास्कर श्रेणियों के बीच प्रवाहित होती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है इसके दाएं किनारे पर श्योक एवं गिलगित नदियां मिलती हैं।
ब हिमालय :- हिमालय के स्थान पर 7 करोड वर्ष पूर्व टेथिस सागर था जो नदियों द्वारा लाए गए अवसाद से भर दिया गया इसके बाद भारत एवं एशिया के स्थल खंडों की आपसी टक्कर से टेथिस सागर के अवसाद मुड़कर (वलित या वलन) ऊपर उठ गए जिससे टर्शियरी काल (तृतीय काल) में तीन समानांतर श्रेणियों का उत्थान हुआ । यह तीनों श्रेणियों सिंधु एवं ब्रह्मपुत्र नदी की घाटियों के बीच 2400 किलोमीटर की लंबाई में एक चाप की आकृति में फैली हुई है जो निम्न है- 1 महान हिमालय
2 लघु हिमालय
3 शिवालिक हिमालय
1 महान हिमालय :- यह पश्चिम में नंगा पर्वत से लेकर पूर्व में नामचा बरवा तक फैला हुआ है जिसकी औसत ऊंचाई 6100 मीटर है।
प्रमुख चोटियां :-
i माउंट एवरेस्ट या सागरमाथा :- इसकी ऊंचाई 8848 m है यह नेपाल में स्थित विश्व की सर्वोच्च चोटी है।
ii कंचनजंगा:- इसकी ऊंचाई 8598 m है यह सिक्किम हिमालय में स्थित भारत की सर्वोच्च चोटी है।
iii नंगा चोटी :- 8126 m जम्मू-कश्मीर
iv नंदा देवी चोटी:- 7817m उत्तराखंड
v नामचा बरवा:- 7756 म अरुणाचल प्रदेश
प्रमुख ग्लेशियर:-
i गंगोत्री - उत्तराखंड
ii मिलम - नेपाल
iii जमु - सिक्किम
प्रमुख दर्रे:-
i जम्मू कश्मीर :-
अ बुर्जिल दर्रा :- श्रीनगर को गिलगित से जोड़ता है।
ब जोजीला दर्रा:- श्रीनगर को कारगिल व् लेह से जोड़ता है।
स पेंशिला दर्रा :- श्रीनगर को कारगिल व् लेह से जोड़ता है।
ii हिमाचल प्रदेश :-
अ बारालाचा दर्रा :- लाहुत स्पीत(केलांग) जिले को लेह से
ब शिपकिला दर्रा:- शिमला को तिब्बत से (कैलाश - मानसरोवर) । इसी दर्रे से होकर सतलज नदी भारत में प्रवेश करती है।
iii उत्तराखंड:-
1 थागाला 2 माना ला 3 नितिला 4 लिपुलेख ला (यह चारों दर्रे उत्तराखंड को कैलाश मानसरोवर से जोड़ते है )
नोटः लिपुलेख दर्रा भारत नेपाल व् चीन के त्रिकोण पर स्थित है।
5 मुलींग ला दर्रा :- आंतरिक उत्तराखंड के भागों को जोड़ता है।
iv सिक्किम :-
अ नाथुला दर्रा:- यह भारत व चीन के बीच प्राचीन व्यापारिक रेशम मार्ग या सिल्क रूट मार्ग था जिसे 1962 में बंद कर दिया गया तथा 2003 में दोनों देशों की सहमति पर 2006 में इसे पुनः खोल दिया गया।
ब जेलेपला दर्रा:- सिक्किम को भूटान व् चीन से जोड़ता हैं।
v अरुणाचल प्रदेश:-
अ बुमला दर्रा ब बोमडिला दर्रा स यांगयाप दर्रा (यह तीनो दर्रे अरुणाचल प्रदेश को चीन से जोड़ते है।
नोटः यांगयाप दर्रे के निकट से ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश करती है।
ब लघु हिमालय
यह महान हिमालय के दक्षिण में समानांतर रूप से 3000 से 4500 मीटर की ऊंचाई में फैली हुई पर्वत श्रेणी है। महान व लघु हिमालय के बीच कुछ सुंदर घास के मैदान पाए जाते हैं जिन्हें कश्मीर में मर्ग जैसे गुलमर्ग व सोनमार्ग तथा उत्तराखंड में बुग्याल व पयार कहा जाता है । महान एवं लघु हिमालय के बीच कश्मीर घाटी में प्लीस्टोसीन काल (लगभग 15 से 20 लाख वर्ष पूर्व) में एक करेवा झील थी जिसे हिमानी व नदियों के अवसादो द्वारा एक उपजाऊ घाटी में बदल दिया गया जिसमें केशर (जाफरान) बादाम अखरोट आदि की कृषि की जाती है ।लघु हिमालय श्रेणी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है-
1 कश्मीर में - पीरपंजाल
2 हिमाचल में - धोलाधर
3 उत्तराखंड में - मसूरी व् नागटिब्बा
4 नेपाल में - महाभारत
लघु हिमालय के प्रमुख दर्रे:-
i जम्मू कश्मीर :-
अ पीरपंजाल दर्रा :- यह जम्मू को श्रीनगर से जोड़ने वाला प्राचीन मार्ग है।
ब बनिहाल दर्रा:- पीरपंजाल श्रेणी में स्थित जम्मू को श्रीनगर से जोड़ने वाला नवीन मार्ग। इस दर्रे के आगे जवाहर सुरंग है वर्तमान में इस दर्रे से पहले भारत की सबसे लम्बी सुरंग चेनाणी नाशरी (9.2km) 2 अप्रैल 2017 को शुरू की गई।
ii हिमाचल प्रदेश :-
अ रोहतांग दर्रा:- कुल्लू मनाली को लाहुत स्पीत से जोड़ता है इस दर्रे से होकर मनाली लेह हाईवे गुजरता है ।
स शिवालिक हिमालय :- यह लघु हिमालय के दक्षिण में समानांतर रूप से 1500 मीटर की औसत ऊंचाई में फैला हुआ है। इसे जम्मू की पहाड़ियां(जम्मू कश्मीर) में दूधवा पहाड़ियां (उत्तराखंड) में चूरियां (नेपाल) में तथा अरुणाचल प्रदेश में डाफला , मिरी , अबोर व मिशमी पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है। लघु हिमालय और शिवालिक के बीच संकीर्ण घाटी को पश्चिम में दून व पूर्व में द्वार कहा जाता है । जैसे देहरादून व् हरिद्वार।
स पूर्वांचल की पहाड़ियां
इन्हें उत्तर पूर्वी भारत के विभिन्न राज्यों में निम्न नाम से जाना जाता है-
पटकोई बूम अरुणाचल में
नागा नागालैंड में
मणिपुर की पहाड़िया मणिपुर में
मिजो/लुशाई की पहाड़ियां मिजोरम में
त्रिपुरा की पहाड़ी त्रिपुरा में
प्रमुख दर्रे:-
दीफु:- अरुणाचल को म्यामांर से
तुजु :- मणिपुर को म्यामांर से
II मध्य का विशाल मैदान
हिमालय के उत्थान के कारण इसके दक्षिण में पूर्व पश्चिम दिशा में फैली एक खाई का निर्माण हुआ जिसे नदियों द्वारा लाए गए अवसादो से बढ़कर एक समतल मैदान में परिवर्तित कर दिया गया । इसका निर्माण सिंधु गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र द्वारा किया गया है इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 7.5 लाख वर्ग किलोमीटर, इसकी लंबाई 2400 किलोमीटर तथा औसत ऊंचाई 200 से 300 मीटर तक है। इसका विस्तार राजस्थान पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश बिहार पश्चिम बंगाल असम राज्य में है। संरचनात्मक दृष्टि से इसे चार भागों में बांटा गया है
1 भाबर :- हिमालय के दक्षिण में अपेक्षाकृत मोटे कंकड़ पत्थरों के जमाव वाला क्षेत्र जिसमें नदिया लुप्त हो जाती हैं भाबर कहलाता है।
2 तराई :- भाबर के दक्षिण में भारी कंकड़ पत्थरों के जमाव वाला क्षेत्र तराई कहलाता है। जिसमेँ भाबर प्रदेश की लुप्त नदियां पुनः धरातल पर प्रकट होती हैं जिसके कारण इस प्रदेश में नमी अत्यधिक होती है यह प्रदेश मलेरिया के प्रकोप से ग्रस्त रहता है ।
3 खादर:- ऐसे क्षेत्र जहां नदियों द्वारा प्रति वर्ष बाढ़ के दौरान नई मिट्टी लाकर बिछा दी जाती है।
4 बांगर:- ऐसे क्षेत्र जहां प्रतिवर्ष बाढ़ का पानी नहीं पहुंचता है अर्थात पुरानी जलोढ़ मृदा वाले क्षेत्र बांगर कहलाते है।
उत्तरी मैदान की सामान्य विशेषताएं एवं इस आकृतियां :-
1 कंकड़ या काकड़:- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मृदा की सतह के नीचे निर्मित कैल्शियमी या चुनायुक्त गांठ कंकड़ कहलाती है।
2 रेह /कल्लर:- पश्चिमी शुष्क भागों में मृदा की सतह पर निर्मित लवणों की सफेद परत को रेह कहा जाता है।
3 भूड़:- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कठोर चट्टानी टिल्लों को भूड़ जाता है।
4 चोश या चाओस:- पंजाब के मैदान में हिमालय की ओर से आने वाली छोटी व तीव्र जल धाराओं को चोश या चाओस कहा जाता है।
5 धाया :- पश्चिमी पंजाब में नदी अपरदन से निर्मित खड़े किनारे वाले क्षेत्र को धाया कहा जाता है।
6 बेट:- पंजाब में बाढ़ ग्रस्त खादर भूमि को बैट कहा जाता है।
दोआब :- इस प्रदेश के पश्चिमी भाग में दो नदियों के बीच का क्षेत्र दोआब के नाम से जाना जाता है। जैसे -
1 बिस्त - व्यास एवं सतलज नदी के बीच
2 बारी दोआब - व्यास एवं रावी नदी के बीच
3 रेचना दोआब -रावी व् चिनाब नदी के बीच
4 चाज दोआब - चिनाब व् झेलम नदी के बीच
5 सिंध सागर दोआब - सिंधु व झेलम नदी के बिच
बिल व चर :- पश्चिमी बंगाल के डेल्टाई भागों में निचले गर्तनुमा जल से भरे हुए क्षेत्र बील व ऊपरी भाग चर नाम से जाने जाते हैं।
राढ़ मैदान- पश्चिमी बंगाल का उत्तर पूर्वी भाग राढ़ का मैदान कहलाता है।
माजुली द्वीप:- असम में ब्रह्मपुत्र नदी के बीच स्थित विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप माजुली द्वीप है।
III प्रायद्वीपीय पठार
यह भारत का सबसे बड़ा (16.5 वर्ग किलोमीटर ) एवं सबसे पुराना (गोंडवाना लैंड का हिस्सा ) भौतिक विभाग है ।इसके उत्तर में अरावली श्रेणी मालवा बुंदेलखंड हुआ बघेलखंड पठार कैमूर व राजमहल की पहाड़ियां उत्तर पूर्व में मेघालय का पठार पूर्व में पूर्वी घाट तथा पश्चिम में पश्चिमी घाट पर्वत श्रेणियां हैं ।
प्रमुख पर्वत श्रेणियां:-
अरावली - राजस्थान में
विंध्याचल - मध्यप्रदेश में
सतपुड़ा - गुजरात व् मध्यप्रदेश में
अजंता - महाराष्ट्र में
सतपुड़ा एक ब्लॉक पर्वत है जिसके दोनों और भ्रंश घाटी में नर्मदा व ताप्ती नदियां बहती है ।
नर्मदा नदी - विंध्याचल व् सतपुड़ा के बीच बहती है
ताप्ती नदी - सतपुड़ा वह अजनता के बीच प्रवाहित होती है।
नर्मदा व ताप्ती के अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पठार की शेष नदियां दक्षिण पूर्व की और बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं ।
प्रायद्वीपीय पठार की ऊंचाई 600 मीटर है। सतपुड़ा में पश्चिम से पूर्व की ओर तीन मुख्य श्रेणियां हैं -
राजपिपला - गुजरात में
महादेव - मध्यप्रदेश में
मैकाल - मध्यप्रदेश में
सतपुड़ा की सर्वोच्च चोटी धूपगढ़ है जो महादेव पहाड़ियों में स्थित है अजंता से नीचे महाराष्ट्र में सतमाला वह हरिश्चंद्र की पहाड़ियां हैं।
पश्चिमी घाट:- प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी भाग में महाराष्ट्र से केरल तक 1600 किलोमीटर की लंबाई में फैला हुआ है इसके उत्तरी भाग में कलसोबाई( महाराष्ट्र) में मध्य भाग में कुद्रेमुख (कर्नाटक) तथा दक्षिणी भाग में अनैमुड़ि (केरल) सबसे ऊंची चोटी है। दक्षिण में जहां पश्चिमी व पूर्वी घाट आपस में मिलते हैं वहां नीलगिरी की पहाड़ियां स्थित है नीलगिरी की सर्वोच्च चोटी 2637 है( तमिलनाडु में)
नीलगिरी में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल ऊटी(उदगमंडलम) स्थित है। नीलगिरि के दक्षिण में पालघाट दर्रा है तथा पालघाट के दक्षिण में अन्नामलाई की पहाड़ियां है। जिनमे प्रायद्वीपीय पठार की सबसे ऊंची चोटी अनैमुड़ि (2695m) केरल में स्थित है।
अन्नामलाई के दक्षिण में इलायची (कार्डामम) तथा इसके भी दक्षिण में नगरकोइल की पहाड़िया है ।अन्नामलाई के उत्तर पूर्व में तमिलनाडु में क्रमशः पालनी, शेवरोय, व् जावादी की पहाड़िया है। पालनी की पहाड़ियों में प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कोडाइकनाल स्थित है।
पश्चिमी घाट के प्रमुख दर्रे:-
1 थाल घाट - मुम्बई को नासिक से
2 भोर घाट - मुम्बई को पुणे से
3 पाल घाट - कोच्चि को कोयम्बटूर व् चेन्नई से
4 सिनकोट - तिरुअनन्तपुरम को मदुरै से
पूर्वी घाट :-
इस श्रेणी का नदियों द्वारा अत्यधिक अपरदन कर दिया गया है। इसकी सर्वोच्च चोटी विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश) है।दूसरी महत्वपूर्ण चोटी महेंद्र गिरी (उड़ीसा) है। पूर्वी घाट से ऊपर उड़ीसा में गढ़जात की पहाड़ियां स्थित है।
पठार के उपविभाग :-
1 मालवा - मध्य प्रदेश में
2 बुंदेलखंड व बघेलखण्ड - मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश में
3 दक्कन का पठार - गुजरात महाराष्ट्र मध्य प्रदेश कर्नाटक आदि राज्यों के 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है ।इसमें क्रिटेशियश काल में ज्वालामुखी के उद्गार से लावा का जमाव हुआ है जिससे निर्मित काली मिट्टी कपास की कृषि के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
4 मैसूर का पठार - कर्नाटक में ।इसके पश्चिमी पहाड़ी भाग को मलनाड तथा पूर्वी भाग को मैदान कहा जाता है ।
5 रायलसीमा का पठार - दक्षिणी आंध्र प्रदेश में
6 तेलंगाना पठार
7 दंडकारण्य पठार- छत्तीसगढ़ व उड़ीसा में
8 छोटा नागपुर का पठार - इस पठार पर पार्श्वनाथ या पारसनाथ की पहाड़ियां है तथा इसके उत्तर में राजमहल की पहाड़ियां हैं।
9 मेघालय /शिलांग का पठार- यह प्रायद्वपीय पठार का ही भाग है इसे मालदा भ्रंश (प. बंगाल) द्वारा शेष प्रायद्वीपीय पठार से अलग किया जाता है इस पर गारो , खासी व जयन्तियां की पहाड़ियां हैं । पूर्व में यह पठार असम के कार्बी एंगलोंग जिलों तक फैला हुआ है।
IV उत्तर पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
(थार का मरुस्थल)
इस प्रदेश में 50 सेंटीमीटर से कम वार्षिक वर्षा होती है अर्थात इस की पूर्वी सीमा का निर्धारण 50 सेंटीमीटर वर्षा रेखा द्वारा किया जाता है। इस प्रदेश में अरावली के उत्तर पश्चिम में स्थित जैसलमेर ,बाड़मेर, जालौर, पाली, जोधपुर, नागौर, बीकानेर, सीकर, चूरू, झुंझुनूं, गंगानगर, हनुमानगढ़, जिले आते हैं।
इस मरुस्थल के स्थान पर 700 वर्ष पूर्व टेथिस सागर था जिसके अवशेष खारे पानी की झीलों के रूप में मिलते हैं ।जोधपुर के बाप क्षेत्र में पाए जाने वाले वाष्प बोल्डर्स जो की पर्मियन कार्बोनिफेरस काल के हैं जिन पर हिमानी घर्षण के निशान मिले हैं।
जैसलमेर में आकल वुड फॉसिल पार्क (लकड़ी के जीवाश्म पार्क) में जुरैसिक काल (18 करोड़ वर्ष पूर्व) के वानस्पतिक जीवाश्म मिले हैं ऐसी वनस्पति समुद्र तटीय व शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में पाई जाती है । इस क्षेत्र में जैसलमेर के चांदन व् लाठी में भूमिगत मीठे जल का भंडार है अतः चांदन को थार का घड़ा कहा जाता है।
तली/तिल्ली/सर/ताल/मरहो:- पश्चिमी मरुस्थल में आसपास के क्षेत्रों से नीचे की भूमि को तली कहा जाता है।
टाट या रन :- पश्चिम राजस्थान में निचले भागों में वर्षा जल से बनी अस्थाई दलदली झीलों को टाट या रन कहा जाता है।
मरुस्थल के प्रकार:-
1 रेतीला मरुस्थल - अर्ग / ईर्ग
2 कठोर चट्टानी मरुस्थल - हम्मादा
3 पथरीला मिश्रित मरुस्थल - रेत
राजस्थान के मरुस्थल का 41.5% भाग बालुका स्तूपों से युक्त है जबकि 58.5% भाग पर बालुका स्तूप पाए जाते हैं।
बालुका स्तूपों के प्रकार:-
अनुदेर्ध्य स्तूप:- पवन की दिशा के समानांतर बने स्तूप । जैसे सीफ। यह बाड़मेर बीकानेर जैसलमेर जोधपुर जिलों में पाए जाते हैं ।
अनुप्रस्थ या अवरोधात्मक स्तूप- यह पवन की दिशा के समकोण पर बने होते हैं इस प्रकार के स्तूप जोधपुर बाड़मेर सीकर व झुंझुनूं जिलों में पाए जाते हैं।
बरखान:- बरखान एक अर्द्धचंद्राकार अनुप्रस्थ बालुका स्तूप है जिसके दोनों किनारे आगे की ओर सींग की तरह निकले हुए होते हैं। बरखान बालुका स्तूप बालोतरा ओसिया रावतसर हनुमानगढ़ चूरू झुंझुनूं एवं सीकर जिले में पाए जाते हैं ।
पैराबोलिक बालुका स्तूप- पैराबोलिक बालुका स्तूप एक अनुप्रस्थ स्तूप है इसकी दिसा बरखान के विपरीत होती है। इसकी आकृति बालों में लगाने के हेयर पिन के जैसी होती है ।
तारा स्तूप - अनेक भुजाओं वाले एसे स्तूप मोहनगढ़ जैसलमेर एवं सूरतगढ़ गंगानगर जिले में पाए जाते हैं।
नेबखा: - मरुस्थल में झाड़ियों के सहारे निर्मित स्तूप को नेबखा या शब्रकाफीज के नाम से जाना जाता है।
लूनेट/नव चंद्राकार स्तूप :- यह झीलों के किनारे पर निर्मित होते हैं ।
धरियन :- पश्चिमी राजस्थान में स्थानांतरणशील बालुका स्तूपों को स्थानीय भाषा में धरियन कहा जाता है।
मरुस्थल में जल द्वारा निर्मित स्थलकृतियाँ :-
बालासन :- मरुस्थल में पहाड़ियों से गिरा हुआ बेसीन।
पेडिमेंट :- पहाड़ी ढालों पर प्रवाहित होते हुए जल के कटाव से निर्मित ढाल
बजादा:- पेडिमेंट के आगे कंकड़ पत्थरों के जमाव से निर्मित क्षेत्र ।
प्लाया :- बालासन के बीच का समतल क्षेत्र जिसमें जल एकत्रित होने पर उसे प्लाया झील कहा जाता है ।
25 सेंटीमीटर वर्षा रेखा राजस्थान के मरुस्थल को दो भागों में विभाजित करती है-
1 पश्चिमी शुष्क रेतीला मैदान:- यह जैसलमेर बाड़मेर पश्चिमी जोधपुर व बीकानेर जिला में विस्तृत है इसकी पूर्वी सीमा 25 सेंटीमीटर वर्षा रेखा से निर्धारित होती है।
2 अर्द्धशुष्क बांगर प्रदेश:- इस की पश्चिमी सीमा 25cm वर्षा रेखा द्वारा तथा पूर्वी सीमा 50cm वर्ष निर्धारित की जाती है। इस प्रदेश को चार भागों में बांटा गया है -
1 घग्घर का मैदान:- इसमें गंगानगर व् हनुमानगढ़ का घग्घर नदी का अपवाह क्षेत्र शामिल है इस प्रदेश में घग्घर नदी के पाट को नाली कहा जाता है घग्घर नदी इस मैदान में कई धाराओं में विभक्त हो जाती थी वहां इसके अपवाह क्षेत्र को हकराह नाम से जाना जाता था।
2 शेखावाटी का आंतरिक अपवाह क्षेत्र :- इसमें सीकर चूरू झुंझुनूं व नागौर का उत्तरी भाग आता है जहां नदियां कुछ दूरी तक बहकर लुप्त हो जाती है।
3 नागौरी उच्च भूमि:- इसमें नागौर जिले का समुद्र तल से अधिक ऊंचाई वाला क्षेत्र आता है तथा यहां कुछ खारे पानी की झीले पाई जाती है जैसे डीडवाना सांभर आदि।
4 लूनी बेसिन/ गोडवाड़ क्षेत्र :- इसमें दक्षिणी नागौर जोधपुर पाली जालौर बाड़मेर जिलों का क्षेत्र आता है इस प्रदेश का ढाल दक्षिण पश्चिम की ओर है यहां लूनी व् इस की सहायक नदियां प्रवाहित होती हैं इसकी दक्षिण पश्चिमी भाग में सागर तल से ऊंचाई मात्र 50 मीटर है सांचौर के आसपास लूनी अनेक धाराओं के रूप में प्रवाहित होती है इस क्षेत्र को नेहड़ कहा जाता है।
V तटीय प्रदेश एवं द्वीप समूह
प्रायद्वीपीय पठार की पश्चिमी एवं पूर्वी घाट पर्वत श्रेणियों से आगे समुद्र किनारे तक का संपूर्ण क्षेत्र तटीय मैदान के नाम से जाना जाता है। भारत के 9 राज्य समुद्र तट पर स्थित हैं-
1 पश्चिमी तट पर -गुजरात महाराष्ट्र गोवा कर्नाटक केरल ।
2 पूर्वी तट पर - पश्चिम बंगाल उड़ीसा आंध्र प्रदेश तमिलनाडु।
पश्चिमी तटीय मैदान की चौड़ाई 50 से 80 किलोमीटर तथा पूर्वी मैदान की चौड़ाई 160 से 480 किलोमीटर तक है पश्चिमी तटीय मैदान की नदियां डेल्टा का निर्माण नहीं करती जबकि पूर्वी तटीय मैदान की नदियां डेल्टा का निर्माण कर पूर्वी तट की चौड़ाई में निरंतर विस्तार करती है इन तटीय मैदानों को विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे -
काठियावाड़ - गुजरात में
कोकण - महाराष्ट्र गोवा में
कन्नड़ - कर्नाटक में
मालाबार - केरल में
पूर्वी तटीय मैदान :-
1 उत्तरी सरकार तट:- स्वर्णरेखा नदी के डेल्टा से गोदावरी कृष्णा डेल्टा तक उड़ीसा व आंध्रप्रदेश के तट को उत्तरी सरकार तट के नाम से जाना जाता है। इसे उड़ीसा में उत्कल तथा आंध्रप्रदेश में काकीनाड़ा तट कहा जाता है।
2 कोरोमंडल तट:- गोदावरी व कृष्णा नदी के डेल्टा के दक्षिण में तमिलनाडु का तट कोरोमंडल तट कहलाता है इस पर तमिलनाडु में कावेरी डेल्टा में तंजौर का उपजाऊ मैदान है जिसे दक्षिण का अन्नभंडार कहा जाता है।
तटीय मैदानों पर स्थित लेंगुन झीले :-
चिल्का झील - उड़ीसा में ( सबसे बड़ी)
कालरु झील - उत्तर प्रदेश में गोदावरी और कृष्णा के डेल्टा के बीच।
पुलिकट झील - आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तट पर ।
वेग्नाद झील - केरल
अष्टमुड़ी झील - केरल
नोटः - केरल में लेंगुन/अनूप /पञ्चजाल/backwater को कयाल के नाम से जाना जाता है।
तटीय मैदानों पर स्थित बंदरगाह :-
1 कांडला (पंडित दीनदयाल उपाध्याय ) बंदरगाह - गुजरात
2 मुंबई बंदरगाह - महाराष्ट्र में
3 न्हावाशेवा (जवाहरलाल नेहरू) बंदरगाह - महाराष्ट्र में
4 मार्मागोवा बंदरगाह - गोवा
5 न्यू मंगलौर बंदरगाह - कर्नाटक
6 कोच्चि बंदरगाह - केरल
7 कोलकाता व हल्दिया बंदरगाह - पश्चिम बंगाल
8 पारादीप बंदरगाह - उड़ीसा
9 विशाखापट्टनम बंदरगाह - आंध्र प्रदेश
10 एन्नोर बंदरगाह - तमिलनाडु
11 चेन्नई बंदरगाह - तमिलनाडु
12 तूतीकोरिन बंदरगाह - तमिलनाडु
13 पोर्ट ब्लेयर बंदरगाह - अंडमान निकोबार दीप समूह
नोटः वर्तमान में तमिलनाडु के तट पर एवायम बन्दरगाह निर्माणाधीन है।
द्वीप समूह
भारत के दोनों तरफ 247 द्वीप है जिनमें 204 बंगाल की खाड़ी में एवं शेष अरब सागर में स्थित है।
1 बंगाल की खाड़ी के द्वीप:- (अंडमान निकोबार द्वीप समूह)
अंडमान निकोबार दीप समूह म्यांमार की अराकानयोमा पर्वत श्रेणी के समुद्र में निकले हुए भाग है। इनमे सबसे बड़ा द्वीप मध्य अंडमान है।
इस की सर्वोच्च चोटी सेंडल चोटी 732 m ऊँची उत्तरी अंडमान में स्थित है । इसकी राजधानी पोर्टब्लेयर दक्षिणी अंडमान में स्थित है भारत का सबसे दक्षिणतम बिंदु इंदिरा पॉइंट /पिग्मेलियन पॉइंट ग्रेट निकोबार के दक्षिणी भाग में स्थित है ।
ज्वालामुखी द्वीप :-
i बैरन ज्वालामुखी (सक्रिय ज्वालामुखी)
ii नार्कोडम ज्वालामुखी (प्रसुप्त ज्वालामुखी)
इन द्वीपों के बीच बंगाल की खाड़ी से अंडमान सागर को जोड़ने वाले कुछ जल मार्ग स्थित है जैसे-
1 10° चैनल लिटिल - लिटिल अंडमान व कार निकोबार के बीच ।
2 डंकन पैसेज - दक्षिणी अंडमान व् लिटिल अंडमान के बीच
3 कोको चैनल - कोको द्वीप (म्यांमार) व उत्तरी अण्डमान के बीच।
पूर्वी तट के पास स्थित अन्य दीप:-
1 न्यू मूर द्वीप - इसको लेकर भारत-बांग्लादेश के बीच विवाद की स्थिति थी। यह बाद में समुद्र में डूब गया।
2 गंगासागर द्वीप - गंगा के मुहाने पर स्थित द्वीप
3 व्हीलर द्वीप (डॉ एपीजे अब्दुल कलाम) मिसाइल प्रक्षेपण केंद्र।
4 श्रीहरिकोटा द्वीप - आंध्र प्रदेश । यह भारत का उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र है जहां सतीश धवन अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र स्थित है।
5 पंबन / रामेश्वर/ धनुषकोटी भारत व श्रीलंका के बीच ।
2 अरब सागर के द्वीप:- (लक्षद्वीप)
लक्षद्वीप द्वीप समूह का निर्माण एक समुद्री जीव प्रवाल/मूंगा/कोरल्योलिप् के कवच एकत्रित होने से हुआ है इनमें अमीनी, लंकाद्वीप व मिनिकोय द्वीप प्रमुख है।
इसका सबसे बड़ा द्वीप अन्द्रोंत है ।
8° चैनल मालद्वीव व् मिनिकोय के बीच
9° चैनल मिनिकोय व् लंकाद्वीप के बीच
तट के समीप स्थित द्वीप:-
i लालसेट द्वीप - मुम्बई
ii अलियाबेट द्वीप - गुजरात के तट पर ।
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