GEOGRAPHY

राजस्थान का भूगोल : स्थिति, विस्तार, सीमाएँ एवं भौतिक स्वरूप

    राजस्थान का भूगोल :  स्थिति, विस्तार,  
              सीमाएँ एवं भौतिक स्वरूप

राजस्थान की विश्व / ग्लोब के सापेक्ष स्थिति उत्तर - पूर्वी देशान्तर है।
राजस्थान की महाद्वपीय स्थिति एशिया महाद्वीप के मानचित्र  में उत्तर - पश्चिम की और हैं।
राजस्थान की भारत में मानचित्र में स्थिति उत्तर - पश्चिम की और है।

राजस्थान की सूर्य के सापेक्ष स्थिति:-
  • राजस्थान में सूर्य के सीधेपन का आरोही क्रम वाले जिले-  गंगानगर-हनुमानगढ़-डूंगरपुर-बाँसवाड़ा
  • राज्य में दक्षिण से उत्तर की और तिरछापन बढ़ेगा / सीधापन घटेगा/ तिरछेपन का आरोही क्रम -   बांसवाड़ा-डूंगरपुर-हनुमानगढ़-गंगानगर
राजस्थान में सूर्य के सीधेपन का अवरोही क्रम/ सही क्रम -  बांसवाड़ा-डूंगरपुर-हनुमानगढ़-गंगानगर

राजस्थान की अक्षांश व् देशांतरीय स्थिति:-
राजस्थान अक्षांशीय दृष्टि से उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है।
राजस्थान देशांतरीय दृष्टि से पूर्वी देशान्तर में स्थित है।

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     राजस्थान में 21 जून को सबसे बड़ा दिन व् सबसे छोटी रात होती है तथा सबसे छोटी परछाई बनती है। 21 जून को सूर्य के कर्क रेखा पर सीधे चमकने के कारण कर्क संक्रांति होती है। इस समय राज्य में ग्रीष्म ऋतू होती है।
         राजस्थान में 22 दिसम्बर को सबसे छोटा दिन व् सबसे बड़ी रात होती है। इस समय सूर्य मकर रेखा सीधा चमकता है तथा मकर संक्रांति  एवं शीत ऋतू होती है।
          21 मार्च व् 23 सितम्बर को राज्य में दिन व् रात की अवधि बराबर होती है।

राजस्थान का अक्षांश एवम् देशांतरीय विस्तार:-
राजस्थान का अक्षांशीय विस्तार 23°3' उत्तरी अक्षांश से 30°12' उत्तरी अक्षांश है। राज्य का अक्षांशीय अंतर 8°09'है।
जबकि राज्य का देशांतरीय विस्तार 69°30' पूर्वी देशान्तर से 78°17' पूर्वी देशान्तर है। देशांतरीय अंतर 8°47' है।
राजस्थान का विस्तार दक्षिण में बांसवाड़ा जिले की कुशलगढ़ तहसिल के बोरकुंडा गाँव से प्रारम्भ होकर उत्तर में कोणा गांव गंगानगर तक है। तथा राज्य की उत्तर से दक्षिण की कुल लंबाई 826 किलोमीटर है।
 जबकि पश्चिम में कटरा गांव सम तहसील जैसलमेर से प्रारम्भ होकर पूर्व में सिलना गांव राजाखेड़ा तहसील धौलपुर तक है। राज्य की पूर्व से पश्चिम की और कुल लम्बाई 869 किलोमीटर है। 

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राज्य के अक्षांश व् देशान्तर / लम्बाई व् चौड़ाई में अंतर 1° से कम/ 43 किलोमीटर है।
राजस्थान का कुल क्षेत्रफल 342239 वर्ग किलोमीटर है जो की देश का 10.41% है।
राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से जर्मनी के बराबर, ब्रिटेन से 1.5 गुणा, श्रीलंका से 5 गुणा व् इजराइल से 17 गुणा बड़ा हैं।
राजस्थान की आकृति टी.ऐच. हैण्डले के अनुसार विषमकोणीय चतुर्भुज या पतंगाकार है।
वनस्पति:- राज्य में पाई जाने वाली प्रमुख वनस्पति मरुदभीद (जिरोफाइट्स) प्रकार की है।
राज्य की मृदा रेतीली बलुई (एन्टीसोल) प्रकार की है।

राजस्थान की सीमाएँ:-
कुल स्थलीय सीमा 5920 किलोमीटर
अंतर्राष्ट्रीय सिमा    1070 किलोमीटर
 अंतर राज्य सीमा  4850 किलोमीटर

अंतर्राष्ट्रीय सिमा:-
राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमा का नाम रेडक्लिफ है जो की विश्व की एकमात्र कलम से निर्धारित की गई सीमा रेखा है।
राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का प्रारंभ हिंदूमलकोट गंगानगर जिले से होता है जबकि अंतरराष्ट्रीय सीमा का समापन शाहगढ़ बाड़मेर जिले में होता है।

उत्तर से दक्षिण की और सिमा का विस्तार:-
गंगानगर 210 किलोमीटर बीकानेर 168 किलोमीटर जैसलमेर 464 किलोमीटर बाड़मेर 228 किलोमीटर
अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं का आरोही अथवा बढ़ता क्रम :-
बीकानेर  168 किलोमीटर
गंगानगर  210 किलोमीटर
बाड़मेर    228 किलोमीटर
जैसलमेर  464 किलोमीटर
अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं का घटता या अवरोही क्रम:-
जैसलमेर  464 किलोमीटर
बाड़मेर    228 किलोमीटर
गंगानगर  210 किलोमीटर
बीकानेर  168 किलोमीटर

अंतर राज्य सीमा :-
राजस्थान के साथ कुल 5 राज्यों की सीमाएं लगती है ।
1 मध्य प्रदेश 1600 किलोमीटर
2 हरियाणा   1262 किलोमीटर
3 गुजरात     1022 किलोमीटर
4 उत्तर प्रदेश 877 किलोमीटर
5 पंजाब       89 किलोमीटर
1  पंजाब :-
 गंगानगर सर्वाधिक       श्री मुक्तसर सर्वाधिक
 हनुमानगढ़ न्यूनतम      फाजिल्का न्यूनतम

2 हरियाणा:-
 हनुमानगढ़  सर्वाधिक।          सिरसा सर्वाधिक
 चूरु                                  फतेहाबाद न्यूनतम
झुंझुनू।                              हिसार
 सीकर                              भिवानी
जयपुर न्यूनतम।                  महेंद्रगढ़
 अलवर                             रेवाड़ी
भरतपुर                              मेवात

3  उत्तर प्रदेश:- 
 भरतपुर    सर्वाधिक।           मथुरा न्यूनतम
 धौलपुर न्यूनतम             आगरा सर्वाधिक

4  मध्य प्रदेश:-
 धोलपुर                         मुरैना सर्वाधिक
सवाई माधोपुर।               श्योपुर
 करौली                          शिवपुरी
कोटा दो बार।                  गुना 
बारां                               राजगढ़
झालावाड़ सर्वाधिक 520 किलोमीटर  मंदसौर
चित्तौड़गढ़                      आगर मालवा
भीलवाड़ा न्यूनतम 16 किलोमीटर   नीमच
प्रतापगढ़                       रतलाम
बांसवाड़ा                   झाबुआ न्यूनतम
5  गुजरात:-
 बांसवाड़ा                    कच्छ सर्वाधिक
डूंगरपुर                        बनासकांठा
उदयपुर सर्वाधिक          साबरकांठा
सिरोही                         अरावली
जालौर                         महीसागर
बाड़मेर न्यूनतम 14 किलोमीटर     दाहोद न्यूनतम

सर्वाधिक अंतर्राष्ट्रीय सीमा या स्थलीय सीमा बनाने वाला जिला झालावाड़ 520 किलोमीटर है
न्यूनतम अंतर राज्य सीमा बनाने वाला जिला बाड़मेर 14 किलोमीटर हैं।
न्यूनतम स्थलीय अंतर राज्य सीमा बनाने वाला जिला भीलवाड़ा 16 किलोमीटर हैं

राजस्थान के अंतःवर्ती जिलों की संख्या 8 है जो किसी भी राज्य के साथ सीमा नहीं बनाते हैं -
नागौर
 पाली
जोधपुर
राजसमंद
अजमेर
दौसा
टोंक
  बूंदी
केवल अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाले जिले 2 है बीकानेर एवं जैसलमेर।
 अंतर राज्य सीमा बनाने वाले जिले 23 हैं।
 अंतर्राज्यीय व्  अंतर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाले जिले  गंगानगर एवं बाड़मेर  है।
 केवल अंतर राज्य सीमा बनाने वाले जिलों की संख्या 21 है ।
दो  राज्यों के साथ सीमा बनाने वाले जिले 4 हैं -
हनुमानगढ़ -  पंजाब व् हरियाणा  के साथ
भरतपुर - हरियाणा व्  उत्तर प्रदेश के साथ
 धौलपुर  - उत्तर प्रदेश व्  मध्य प्रदेश के साथ
बांसवाड़ा -  गुजरात व मध्यप्रदेश के साथ

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पाकिस्तान के जिले जो राजस्थान के  साथ सीमा बनाते हैं :-
1 पंजाब प्रांत-
 i बहावलनगर सर्वाधिक - गंगानगर व बीकानेर के साथ
 ii बहावलपुर - बीकानेर व जैसलमेर के साथ
iii रहीमयार खाँ - जैसलमेर के साथ
 2 सिंध प्रांत
घोटकी     - जैसलमेर के साथ
सुक्कुर     - जैसलमेर के साथ
खैरपुर      - जैसलमेर के साथ
 संघर       -  जैसलमेर व् बाड़मेर के साथ
उमरकोट न्यूनतम  - बाड़मेर के साथ
थारपारकर  - बाड़मेर के साथ

राजस्थान का भौतिक स्वरूप

राजस्थान की उत्पत्ति- 
I कालखंड के आधार पर :-
अ पश्चिमी मरुस्थल -नियोजोइक महाकल्प (प्लीस्टोसीन युग)
ब  अरावली - एजोइक/आद्य महाकल्प (प्री कैम्ब्रियन युग)
स  मैदान। - नियोजोइक महाकल्प (प्लीस्टोसीन युग)
द   पठार - मिसोजोइक/मध्यजीवि महाकल्प(क्रिटेशियश युग)

II भौतिक विभाग:-  
अ पश्चिमी मरुस्थल- टेथिस सागर
ब  अरावली  -  गोड़वानालेण्ड
स  मैदान   -  चम्बल बनास व् माही नदी द्वारा
द  पठार   -   गोड़वानालेण्ड में ज्वालामुखी से

राजस्थान के भू भाग को 4 भागों में बाँटा गया है- 
नाम                             क्षेत्रफल %में      जनसंख्या%में
1 उत्तर पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश 61%                   40%
2 अरावली पर्वतीय प्रदेश           9%                     10%
3 पूर्वी मैदानी प्रदेश                  23%                   39%
4 दक्षिण पूर्वी पठारी प्रदेश         7%                     11%


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   I   उत्तर पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश
         इस प्रदेश में 50 सेंटीमीटर से कम वार्षिक वर्षा होती है अर्थात इस की पूर्वी सीमा का निर्धारण 50 सेंटीमीटर वर्षा रेखा द्वारा किया जाता है। इस प्रदेश में अरावली के उत्तर पश्चिम में स्थित जैसलमेर ,बाड़मेर, जालौर, पाली, जोधपुर, नागौर, बीकानेर, सीकर, चूरू, झुंझुनूं, गंगानगर, हनुमानगढ़, जिले आते हैं।
         इस मरुस्थल के स्थान पर 700 वर्ष पूर्व टेथिस सागर था जिसके अवशेष खारे पानी की झीलों के रूप में मिलते हैं ।जोधपुर के बाप क्षेत्र में पाए जाने वाले वाष्प बोल्डर्स जो की  पर्मियन कार्बोनिफेरस काल के हैं जिन पर हिमानी घर्षण के निशान मिले हैं।
 जैसलमेर में आकल वुड फॉसिल पार्क (लकड़ी के जीवाश्म पार्क) में जुरैसिक काल (18 करोड़ वर्ष पूर्व) के वानस्पतिक जीवाश्म मिले हैं ऐसी वनस्पति समुद्र तटीय व शीतोष्ण कटिबन्धीय  क्षेत्रों में पाई जाती है । इस क्षेत्र में जैसलमेर के चांदन व् लाठी में भूमिगत मीठे जल का भंडार है अतः  चांदन को थार का घड़ा कहा जाता है।

तली/तिल्ली/सर/ताल/मरहो:-  पश्चिमी मरुस्थल में आसपास के क्षेत्रों से नीचे की भूमि को तली कहा जाता है।
टाट या रन :-  पश्चिम राजस्थान में निचले भागों में वर्षा जल से बनी अस्थाई दलदली झीलों को टाट या रन कहा जाता है।

मरुस्थल के प्रकार:-  
1 रेतीला मरुस्थल - अर्ग / ईर्ग
2 कठोर चट्टानी मरुस्थल -   हम्मादा
3 पथरीला मिश्रित मरुस्थल  - रेत
राजस्थान के मरुस्थल का 41.5% भाग बालुका स्तूपों  से युक्त है जबकि 58.5% भाग पर  बालुका स्तूप पाए जाते हैं।

     बालुका स्तूपों के प्रकार:- 
अनुदेर्ध्य स्तूप:-  पवन की दिशा के समानांतर बने स्तूप । जैसे सीफ। यह बाड़मेर बीकानेर जैसलमेर जोधपुर जिलों में पाए जाते हैं ।

अनुप्रस्थ या अवरोधात्मक स्तूप-  यह पवन की दिशा के समकोण पर बने होते हैं इस प्रकार के स्तूप जोधपुर बाड़मेर सीकर व झुंझुनूं जिलों में पाए जाते हैं।

 बरखान:-  बरखान एक अर्द्धचंद्राकार अनुप्रस्थ बालुका स्तूप है जिसके दोनों किनारे आगे की ओर सींग की तरह निकले हुए होते हैं। बरखान बालुका स्तूप बालोतरा ओसिया रावतसर हनुमानगढ़  चूरू  झुंझुनूं एवं सीकर जिले में पाए जाते हैं ।

पैराबोलिक बालुका स्तूप-  पैराबोलिक बालुका स्तूप एक अनुप्रस्थ स्तूप है इसकी दिसा  बरखान के विपरीत होती है। इसकी आकृति बालों में लगाने के हेयर पिन के जैसी होती है ।

तारा स्तूप - अनेक भुजाओं वाले एसे स्तूप मोहनगढ़ जैसलमेर एवं सूरतगढ़ गंगानगर जिले में पाए जाते हैं। 

नेबखा: - मरुस्थल में झाड़ियों के सहारे निर्मित स्तूप को नेबखा या शब्रकाफीज  के नाम से जाना जाता है।

लूनेट/नव चंद्राकार स्तूप :- यह झीलों के किनारे पर निर्मित होते हैं ।

धरियन :- पश्चिमी राजस्थान में स्थानांतरणशील  बालुका स्तूपों को स्थानीय भाषा में  धरियन कहा जाता है।

मरुस्थल में जल द्वारा निर्मित स्थलकृतियाँ :-  
बालासन :- मरुस्थल में पहाड़ियों से गिरा हुआ बेसीन।
पेडिमेंट :- पहाड़ी ढालों पर प्रवाहित होते हुए जल के कटाव से निर्मित ढाल 
बजादा:-  पेडिमेंट के आगे कंकड़ पत्थरों के जमाव से निर्मित क्षेत्र ।
प्लाया :- बालासन के बीच का समतल क्षेत्र जिसमें जल एकत्रित होने पर उसे प्लाया झील कहा जाता है ।
     25 सेंटीमीटर वर्षा रेखा राजस्थान के मरुस्थल को दो भागों में विभाजित करती है-
1  पश्चिमी शुष्क रेतीला मैदान:-  यह जैसलमेर बाड़मेर पश्चिमी जोधपुर व बीकानेर जिला में विस्तृत है इसकी पूर्वी सीमा 25 सेंटीमीटर वर्षा रेखा से निर्धारित होती है।
2 अर्द्धशुष्क बांगर प्रदेश:- इस की पश्चिमी सीमा 25cm वर्षा रेखा द्वारा तथा पूर्वी सीमा 50cm वर्ष निर्धारित की जाती है। इस प्रदेश को चार भागों में बांटा गया है -
1 घग्घर का मैदान:- इसमें  गंगानगर व्  हनुमानगढ़ का घग्घर नदी का अपवाह क्षेत्र शामिल है  इस प्रदेश में घग्घर नदी के पाट को नाली कहा जाता है घग्घर नदी इस मैदान में कई धाराओं में विभक्त हो जाती थी वहां इसके अपवाह क्षेत्र को हकराह नाम से जाना जाता था।
2 शेखावाटी का आंतरिक अपवाह क्षेत्र :-  इसमें सीकर चूरू झुंझुनूं व नागौर का उत्तरी भाग आता है जहां नदियां कुछ दूरी तक बहकर लुप्त हो जाती है।
3  नागौरी उच्च भूमि:-  इसमें नागौर जिले का समुद्र तल से अधिक ऊंचाई वाला क्षेत्र आता है तथा यहां कुछ खारे पानी की झीले पाई जाती है जैसे डीडवाना सांभर आदि।
4  लूनी बेसिन/ गोडवाड़ क्षेत्र :- इसमें दक्षिणी नागौर जोधपुर पाली जालौर बाड़मेर जिलों का क्षेत्र आता है इस प्रदेश का ढाल दक्षिण पश्चिम की ओर है यहां लूनी व् इस की सहायक नदियां प्रवाहित होती हैं इसकी दक्षिण पश्चिमी भाग में सागर तल से ऊंचाई मात्र 50 मीटर है सांचौर के आसपास लूनी अनेक धाराओं के रूप में प्रवाहित होती है इस क्षेत्र को नेहड़ कहा जाता है।
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II       मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश :-
यह दक्षिण पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर एक विकीर्ण की भाँति फैली हुई है जिसकी गुजरात से दिल्ली तक कुल लंबाई 692 किलोमीटर तथा राजस्थान में कुल लंबाई 550 किलोमीटर है। यह विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वत श्रेणी है जिसकी तुलना USA के अप्लेशियन पर्वत से की जाती है।
        इसमें प्रीकैंब्रियन काल की लगभग 46 करोड वर्ष पूर्व की चट्टाने पाई जाती हैं प्री पल्योजोइक काल लगभग 25 करोड वर्ष पूर्व में इसकी ऊंचाई अत्यधिक थी लेकिन करोड़ों वर्षों में अपरदन के पश्चात वर्तमान में यह एक अवशिष्ट पर्वत के रूप में विद्यमान है इसमें ग्रेनाइट व् नीस प्रकार की चट्टाने पाई जाती हैं। इसकी ऊंचाई व चौड़ाई दक्षिण पश्चिम में सर्वाधिक है । इसका सर्वाधिक विस्तार उदयपुर में तथा न्यूनतम विस्तार अजमेर में है। 
       अरावली की पहाड़ियों को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे -
गिरवा     -  उदयपुर में तश्तरीनुमा बेसिन
 नाग पहाड़  -  अजमेर 
तोरावटी   -  शेखावाटी 
 मगरा    -  उदयपुर के उत्तरी भाग में
फन जैसी आकृति  - सेंदड़ा पाली में 

     अरावली की औसत ऊंचाई 930 मीटर है।
 दक्षिण-पश्चिम अरावली 
 गुरु शिखर   1722 m  सिरोही में 
सेर             1597m -   सिरोही में 
दिलवाड़ा     1442 m सिरोही में
जरगा          1431m उदयपुर में
 अचलगढ़     1380 m सिरोही में
कुंभलगढ़       1224 m राजगढ़
सज्जनगढ     938 m उदयपुर में

 मध्यवर्ती अरावली प्रदेश
 टॉडगढ़    933 मीटर   अजमेर में
 तारागढ़    875 मीटर   अजमेर में 

उत्तर पूर्वी अरावली प्रदेश
 रघुनाथगढ़   1055 m   सीकरमें
 खो             920 m   जयपुर
बेराच           792 m  अलवर में 
बैराठ            704 m  जयपुर 

अरावली के दक्षिण पश्चिम में जालौर जिले में पहाड़ियों में ग्रेनाइट व् रायोलाइट जेसी चट्टानें अधिकता से पाई जाती है। यहां जसवंतपुरा क्षेत्र में कुछ प्रमुख चोटियां है - 
डोरा  869 मीटर
ईसराना भाकर 839 मीटर 
रोजाभाकर     730 मीटर
झारोला          588 मीटर

इसके पश्चिम में बाड़मेर के सिवाना क्षेत्र में गोलाकार पहाड़ियों को छप्पन की पहाड़ियां वह नाकोडा पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है दक्षिणी अरावली में पहाड़ियों के बीच कुछ पठारी क्षेत्र स्थित है जैसे-
 भोराठ का पठार - कुम्भलगढ़ से गोगुन्दा के बिच
 देशहरों का पठार -  जरगा  व रागा पहाड़ियों के बीच का हरा भरा क्षेत्र 
लीसाड़ियां का पठार-  उदयपुर से जयसमंद झील के बीच का कटा फटा फटा पठार
भोमट पठार -  दक्षिणी उदयपुर व्  डूंगरपुर का क्षेत्र 
उड़िया का पठार - सिरोही में स्थित राजस्थान का सबसे ऊंचा पठार 1360 m 
भाकर पठार-  पूर्वी सिरोही में उबड़ खाबड़ कटक नुमा स्थलाकृति
 अरावली के प्रमुख दर्रे:-  
 बर दर्रा  -  अजमेर को पाली व अहमदाबाद से जोड़ता है।
 पखेरिया दर्रा - अजमेर  को मसूदा से जोड़ता है।
 शिवपुर घाट दर्रा -अजमेर को राजसमंद से 
 देसूरी की नाल-  मेवाड़ को मारवाड़ से राजसमंद को पाली से
 कमली घाट दर्रा - राजसमन्द को पली से 
हाथीगुडा नाल -  उदयपुर व राजसमन्द को  कुंभलगढ़ व् सिरोही से
इसके अतरिक्त  उदयपुर को सिरोही व गुजरतकुच दर्रे और है जैसे-  हाथी दर्रा
केलवाड़ा दर्रा
जिलवा नाल
पगल्या नाल 
सोमेश्वर नाल
फुलवारी की नाल ।


III  पूर्वी मैदानी प्रदेश:-

इसका निर्माण चंबल बनास व माही नदियों द्वारा किया गया है यह भारत के भौतिक खंड उत्तर के विशाल मैदान का भाग है 

1चंबल बेसिन:-   इस बेसिन में चंबल का अपवाह क्षेत्र आता है यह मैदान अवनालिका अपरदन की समस्या से ग्रस्त है जिसके कारण यहां सवाई माधोपुर करौली धौलपुर आदि जिलों में खंड्ड/ बीहड़ पाए जाते हैं ।इस प्रदेश की स्थलाकृति को उत्खात स्थलाकृति बेडलैंड टोपोग्राफी कहा जाता है।
2 बनास बेसिन :- बनास बेसिन का उत्तर एवं मध्य भाग बनास व्  बाणगंगा नदी द्वारा निर्मित है अरावली के दक्षिण पूर्व में बनास के मैदान में टीलेनुमा  स्थलाकृति पिडमांट कहा जाता है ।
3 माही बेसीन :- इस मैदान का दक्षिणी भाग माही व इसकी सहायक नदियों द्वारा निर्मित है इसे प्रतापगढ़ से बांसवाड़ा के बीच छप्पन का मैदान कहा जाता है प्रतापगढ़ में इसके बहाव क्षेत्र को कांठल कहा जाता है।

IV  दक्षिण पूर्वी पठारी प्रदेश:-
यह कोटा बूंदी बारां झालावाड़ जिलों में फैला हुआ है यह मध्यप्रदेश के मालवा पठार का विस्तार है यह भारत के भौतिक खंड प्रायद्वीपीय पठार का हिस्सा है जो प्राचीन भूखंड गोडवाना लैंड का भाग है दक्षिण पूर्वी पठार को अरावली श्रेणी से महान सीमा भ्रंश (ग्रेट बाउंड्री फॉल्ट) अलग करता है इस पठार में बूंदी जिले में पश्चिम से उत्तर पूर्व की ओर दो समानांतर पर्वत श्रेणियां घोड़े की नाल की आकृति में या अर्धचंद्राकार आकृति में फैली हुई हैं जिन्हें बूंदी की पहाड़ियां कहा जाता है इसके दक्षिण में कोटा जिले में पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर कोटा की पहाड़ियां या मुकुंदरा हिल्स स्थित है।
      इस पठार के कुछ उपविभाग हैं जैसे-
 ऊपर माल का पठार - बिजोलिया से भैंसरोडगढ़ तक
 डाबी का पठार     - बूंदी में 
शाहबाद उच्च भूमि  - बारां का उत्तरी भाग 
छिपाबड़ोद उच्च भूमि पठार - बारां का दक्षिणी भाग
डग गंगधर -   झालावाड़ में 

इस पठार का ढाल दक्षिण से उत्तर पूर्व की ओर है तथा यहां सर्वाधिक नदियां प्रवाहित होती है इस पठार के दक्षिणी भाग में विंध्यन कगार स्थित है जो राजस्थान में बनास व चंबल नदियों के बीच स्थित है इन कगारों का मुख यहाँ दक्षिण पूर्व की ओर है यह विंध्यन कगार बालूका पत्थर से निर्मित है।

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