GEOGRAPHY

महासागरीय ज्वार' युति एवं वियुति' सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण और ज्वार भाटा

                   महासागरीय ज्वार
 ज्वार के आने का कारण:- चंद्रमा एवं सूर्य का गुरुत्वाकर्षण तथा पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण लगने वाला अपकेंद्रीय बल  है।
चंद्रमा एवं सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बलों का अनुपात 9:5 है।
पृथ्वी पर एक साथ दो स्थानों पर ज्वार आते हैं एक चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के द्वारा तथा दूसरा पृथ्वी के अपकेंद्रीय बल द्वारा |
* किसी एक स्थान पर 1 दिन में दो बार ज्वार आते हैं एक चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा तथा दूसरा पृथ्वी के अपकेंद्रीय बल के द्वारा|
*  चंद्रमा की परिक्रमण गति के कारण पृथ्वी का कोई स्थान पुनः चंद्रमा के ठीक नीचे 24 घंटे के बजाय 52 मिनट की देरी से पहुंचता है अतः किसी स्थान पर चंद्रमा के कारण आने वाले ज्वार के बाद अपकेंद्रीय बल के कारण आने वाले ज्वार में 12 घंटे से 26 मिनट का समय अधिक लगता है ।
* अर्थात किसी स्थान पर अगला ज्वार 12 घंटे 26 मिनट की (26 मिनट ) देरी से आता है जिसे अर्ध दैनिक ज्वार कहा जाता है|
*  उसी कारण से आने वाला अगला ज्वार 24 घंटे 52 मिनट बाद( 52 मिनट की देरी से) आता है जिसे दैनिक ज्वार कहा जाता है|

महासागरीय ज्वार से सम्बंधित फ़ाइल को pdf. में download करने के लिए निचे दिए गए link पर click करें         DOWNLOAD

*  चंद्रमा की घूर्णन गति तथा पृथ्वी की परिक्रमण गति परिवर्तित करने से ज्वार के समय में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
*  चंद्रमा की परिक्रमण गति तथा पृथ्वी की घूर्णन गति परिवर्तित करने से ज्वार का समय परिवर्तित हो जाता है।
 * चंद्रमा की परिक्रमण गति बढ़ाने से ज्वार में होने वाला विलंब बढ़ जाएगा तथा चंद्रमा की परिक्रमण गति घटाने से ज्वार में होने वाला विलंब घट जाएगा। जबकि पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ाने से अगले ज्वार का समय व विलंब घट जाएगा तथा पृथ्वी की घूर्णन गति घटाने से अगले ज्वार का समय व विलंब बढ़ जाएगा |
* यदि चंद्रमा की परिक्रमण गति को दोगुना कर दिया जाए तो अगला ज्वार 52 मिनट के विलंब से आएगा।
*  यदि पृथ्वी की घूर्णन गति को दोगुना कर दे तो अगला ज्वार 6 घंटे 13 मिनट (13 मिनट बाद )आएगा
उप भू एवं अप भू ज्वर:-   जब पृथ्वी एवं चंद्रमा के बीच की दूरी न्यूनतम होती है तो सामान्य से ऊंचा ज्वार आता है जिसे उप भू  ज्वार कहते हैं। तथा अधिक दूरी होने पर सामान्य से नीचे ज्वार आता है जिसे अप भू ज्वार कहते हैं
उप सौर व् अप सौर ज्वार:- 
उपसौर-  सामान्य से ऊंचा ज्वार
अप सौर - सामान्य से नीचे ज्वार
समकोणिक स्थिति:-जब पृथ्वी सूर्य व चंद्रमा समकोण की स्थिति में हो तो सामान्य से नीचे ज्वार आता है यह ज्वार सप्तमी अष्टमी को कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष में आता है।। 



सिजगी:- जब पृथ्वी सूर्य व चंद्रमा तीनों एक सिद्ध में होते हैं तो सामान्य से ऊंचा ज्वार आता है इसकी दो स्थिति हो सकती है युति और वियुति।
युति :- जब चंद्रमा एवं सूर्य दोनों पृथ्वी के एक तरफ हो ऐसी स्थिति अमावस्या के दिन आती है इस दिन सूर्य ग्रहण होता है।
वियुति:- जब चंद्रमा व सूर्य दोनों पृथ्वी के विपरीत दिशाओं में होते हैं इस दिन पूर्णिमा होती है तथा चंद्रग्रहण होता है।
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