भूकम्प:-
धरातल के आंतरिक भागों में होने वाला कंपन भूकंप कहलाता है।
धरातल के आंतरिक भागों में होने वाला कंपन भूकंप कहलाता है।
भूकंप उत्पत्ति के कारण :-
1 भूगर्भ की गैसों का फैलाव
2 ज्वालामुखी क्रिया के कारण
3 प्लेटों की गति के कारण
4 चट्टानों का संचालन जिसे प्रत्यास्थ पुनश्चलन सिद्धांत भी कहते हैं इसका प्रतिपादन एचएफ रीड ने किया था।
5 खनन, परमाणु परीक्षण आदि विस्फोट के कारण
6 बांधों का निर्माण जैसे- कोयना महाराष्ट्र 1967 का भूकंप
भूकंप विज्ञान को सिस्मोलॉजि भी कहा जाता है।
सिस्मोग्राफ - भूकम्प मापक यन्त्र
रियेक्टर/रिक्टर स्केल:- भूकंप की तीव्रता मापने का यंत्र इसका निर्माण 1935 में रिक्टर ने किया था।
मर्केल्ली स्केल :- यह गुणात्मक मापक था जो पहले प्रचलन में था।
इसोसिस्मल/सम भूकम्प रेखा :- भूकंप की समान तीव्रता वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा।
होमोसिस्मल/सह भूकम्प रेखा:- भूकंप के समान समय वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा।
भूकम्प मूल / अवकेंद्र / FOCUS / HYPOCENTER :- भूगर्भ में वह स्थान जहां से भूकंपीय तरंगों की उत्पत्ति होती है।
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अधिकेंद्र/EPICENTER:- धरातल की सतह पर वह स्थान जहां भूकंपीय तरंगे सबसे पहले पहुंचती हैं यह भूकंप मूल/ भूकंप तल के ठीक ऊपर लंबवत 90 डिग्री पर होता है।
भूकम्पीय तरंगें:-
p तरंग:- इन्हें प्राथमिक तरंग भी कहते हैं इनकी गति 6 से 14 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है यह अनुदैर्ध्य गति या ध्वनि तरंग गति के समान होती है। यह ठोस द्रव गैस तीनों में चलती है इसका छाया क्षेत्र 103 डिग्री से 143 डिग्री तक होता है यह भूगर्भ में लंबवत पथ पर चलती है।
S तरंग:- इन्हें द्वितीयक तरंग कहते हैं इनकी गति 4 से 7 किलोमीटर प्रति सेकंड होती है यह अनुप्रस्थ गति या प्रकाश तरंगों के समान होती है यह केवल ठोस पदार्थों में ही चलती है इसका छाया क्षेत्र 103 डिग्री से 180 डिग्री तक होता है यह भूगर्भ में अवतल पथ पर चलती है।
L तरंग:- यह तरंग P तथा S तरंगों के धरातल पर पहूँचने के बाद L तरंगे उतपन्न होती है जो धरातल के ऊपर उत्तल पथ पर चलती है इसकी गति सबसे कम 3 Km/Second होती है।
- विश्व के 60% से अधिक भूकंप परी प्रशांत पेटी में अर्थात प्रशांत महासागर के चारों ओर के किनारों पर आते हैं इसका प्रमुख कारण प्लेटों का आपसी टकराव है।
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