GEOGRAPHY

जलमण्डल , महासागरीय जल के वितरण, उच्चावच, लवणता, तापमान घनत्व

       जलमण्डल :  महासागरीय जल के वितरण,
             उच्चावच, लवणता, तापमान घनत्व 
  • जलमंडल संपूर्ण पृथ्वी का क्षेत्रफल 51 करोड वर्ग किलोमीटर
  •  जलमंडल 36 करोड वर्ग किलोमीटर 71% भाग 
  • स्थलमंडल 15 करोड़ वर्ग किलोमीटर 29% भाग 
  • पृथ्वी पर पाए जाने वाले संपूर्ण जल का वितरण :-महासागरीय खारा जल 97% से अधिक 
  • स्वच्छ जल 3% से कम
  •  हिमानी 2% 
  • भूमिगत जल 0.63  प्रतिशत
  •  नदी और झिलों में स्थित जल 0.1%
  •  प्रशांत महासागर 16.5 करोड़ वर्ग किमी
  • अटलांटिक महासागर 8.5 करोड़ वर्ग किमी
  • हिन्द महासागर 7.3 करोड़ वर्ग किमी
  • आर्कटिक महासागर 1.5 करोड़ वर्ग किमी
  • शेष (द.महासागर बन्द, आंतरिक महासागर 2 करोड़ किमी
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 महासागरीय  नितल के उच्चावच:-    

1 महाद्वपीय मग्न तट:- इसका अर्थ डूबे हुए तट से होता है यह सागर के 7. 6% भाग पर फैला हुआ है  इसका ढाल 1डिग्री से 3 डिग्री तक तथा गहराई सो फेदम 600 फिट या  लगभग 200 मीटर तक होती है इसकी औसत चौड़ाई 75 किलोमीटर तक होती है
प्रशांत व हिंद की तुलना में अटलांटिक महासागर का मग्नतट चौड़ा है लेकिन उत्तरी सागर व आर्कटिक सागर का मग्नतटअटलांटिक से भी चोड़ा है
2 महाद्वपीय मग्न ढाल:- इसका कोण 3 डिग्री से 5 डिग्री तक तथा गहराई 200 मीटर से 3000 मीटर तक होती है  इस में काम मिट्टी के निक्षेप  पाए जाते हैं यह सागर के 8.5 प्रतिशत भाग पर फैले हुए हैं
3 गहन सागरीय मैदान:- यह महासागर के बीच का अत्यंत कम ढाल वाला क्षेत्र है जिसकी विभिन्न भागों में गहराई अलग-अलग होती है इसे नितल भी कहते हैं
प्रशांत व हिंद महासागर का गहन सागरीय मैदान अत्यधिक चौड़ा है जबकि अटलांटिक का मैदान अत्यधिक संकरा है
4 महासागरीय कटक:- महासागरों में शंकरे शिखर वाले पर्वत श्रेणी वाली आकृति को महासागरीय कटक कहते हैं
5 महासागरीय खाई/ गर्त/ट्रेंच:-  महासागरीय मैदानों पर भूगर्भिक हलचलों से बनी संकरी व गहरी खाई जैसे प्रशांत महासागर का मेरियाना ट्रेंच इन की औसत गहराई 55 मीटर तक होती है
6 गुयोट:- महासागरों में स्थिति जल मग्न समतल शिखर वाली पहाड़ियाँ गुयोट कहलाती हैं महासागरीय कंदराएँ/ 7 केनियन :- यह महाद्वीपीय मग्न तट के सामने तट से लंबवत् दिशा में पाई जाती है जैसे अटलांटिक महासागर में कांगो नदी के सामने स्थित केनियन। समुद्र तल से महासागरों की औसत गहराई 3800 मीटर तथा महाद्वीपों की औसत ऊंचाई 840 मीटर तक होती है।

अटलांटिक महासागर (8.5करोड़ वर्ग किमी):- यह उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका यूरोप व अफ्रीका के बीच अंग्रेजी वर्णमाला के S अक्षर की आकृति में फैला हुआ है।
 इसके उत्तरी मध्य भाग में कैरेबियन सागर, मेक्सिको की खाड़ी एवं सारगैसो सागर है|
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ब्रमुड़ा त्रिकोण:- इस महासागर में फ्लोरिडा प्यूर्टोरिको एवं बरमूडा के बीच स्थित त्रिकोण में रहस्यमय तरीके से जलयान व वायुयान दुर्घटनाएं होती हैं।
 इस महासागर का मग्न तट प्रशांत एवं हिंद महासागर की तुलना में चौड़ा है तथा गहन सागरीय मैदान संकड़ा है
इस महासागर के मध्य में S अक्षर की आकृति में उत्तर में आइसलैंड द्वीप से लेकर दक्षिण में बोवेट द्वीप तक 14000 किलोमीटर से भी लंबा एक कटक है जिसे मध्य अटलांटिक कटक कहते हैं
इस कटक को भूमध्य रेखा के उत्तर में डॉल्फिन कटक तथा दक्षिण में चैलेंजर कटक कहा जाता है ।
यह कटक ग्रीनलैंड के दक्षिण में अत्यधिक चौड़ा है जहां इसे टेलीग्राफ पठार कहा जाता है
अटलांटिक महासागर के प्रमुख गर्त एवं खाई:-
1प्यूर्टोरिको गर्त :- उत्तरी अटलांटिक में प्यूरटोरीको द्वीप के पास।
2रोमशे गर्त :- भूमध्य रेखा पर
3साउथ सेंडविच गर्त:- दक्षिण अमेरिका के दक्षिण पूर्वी किनारे पर।


हिन्द महासागर(7.3करोड़ वर्ग किमी)
यह क्षेत्रफल की दृष्टि से तीसरे स्थान पर है
 यह एशिया अफ्रीका अंटार्कटिका एवं ऑस्ट्रेलिया के बीच M अक्षर की आकृति में फैला हुआ है
इसके मग्न तट अत्यंत सकरें तथा गहन सागरीय मैदान अत्याधिक चौड़ा है इसमें उल्टे Y अक्षर की आकृति में एक कटक फैला हुआ है जिसे भारत के दक्षिण में चेगोस कटक कहा जाता है इसके मध्य भाग में यह कटक अत्यधिक चौड़ा हो जाता है जहां इसे एम्सटर्डम सेंट पॉल पठार कहा जाता है
इस मुख्य कटक के पश्चिम में कार्ल्सबर्ग कटक है तथा पूर्व में 90 डिग्री पूर्वी कटक स्थित है  हिन्द महासागर का सबसे गहरा गर्त सुंडा गर्त है जो कि इंडोनेशिया के जावा द्वीप के समीप है।

  प्रशांत महासागर (16.5 करोड़ वर्ग किमी)
यह उत्तरी अमेरिका दक्षिण अमेरिका  एवं ऑस्ट्रेलिया से गिरा हुआ त्रिभुजकार आकृति का माह सागर है जो क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा है।
 इस महासागर की गहराई  4000 मिटर से भी अधिक है।  लगभग 4500  मिटर
यह महासागर सबसे गहरा सागर है।
 इस माहासागर के मग्न तट   संकड़े एवम् गहन सागरीय मैदान अत्यधिक चौड़ा है
 इस सागर में अटलांटिक व् हिन्द महा सागर की तरह स्पस्ट कटक का आभाव है।इसके मध्य पूर्वी  भाग में एक अत्यधिक चौड़ा भाग अलब्ट्रांस पठार के नाम से जाना जाता है।
इसके पूर्व में उत्तरी अमेरिका एवं दक्षिण में दक्षिणी अमेरिका के मध्य कोकस कटक स्तिथ है ।
उतरी प्रशांत महासागर में हवाई कटक स्थित है जिसमें ज्वालामुखी क्रिया जनित  मोनाकी पर्वत स्थित है
इस मोनाकी पर्वत की अपने आधार से ऊंचाई 10210 मीटर से भी अधिक है लेकिन इसका अधिकतर भाग समुद्र के पानी में डूबा हुआ है महासागरों में अब तक 57 गर्तो का पता लगाया जा चुका है जिनमें से 32 प्रशांत महासागर में 19 अटलांटिक में तथा 6 हिंद महासागर में स्थित है
प्रशांत महासागर के प्रमुख गर्त:-
I उत्तरी प्रशांत :-
1 मेरियाना ट्रेंच (चैलेंजर गर्त) 11033M फिलीपींस के पास
2 मिण्डनाओ गर्त फिलीपींस के पास
3 अल्युशियन खाई उत्तरी अमेरिका के पश्चिम में अल्युशियन द्वीप के पास
II दक्षिणी प्रशांत:-
1कर्माडेक व् टोंगा गर्त ऑस्ट्रेलिया के पूर्व में
2 पेरुचिली ट्रेंच दक्षिण अमेरिका के पश्चिम में
   
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      महासागरीय लवणता
1 लवणता:-  महासागरीय जल के 1000 ग्राम में घुले हुए  लवण की ग्राम में मात्रा को लवणता कहते हैं
सभी महासागरों की औसत लगता 35 ग्राम प्रति हजार है।
लवणता को प्रभावित करने वाले करक:-
1 वाष्पीकरण:- अधिक वाष्पीकरण से लवणता बढ़ती है ।
2 वर्षा:-  वर्षा का स्वच्छ जल मिलने से लवणता घटती है ।
3नदियां:- नदियों का स्वच्छ जल मिलने से लवणता घटती है ।
4 हिमखंड:- उच्च अक्षांशों में हिमखंडो के मिलने से लवणता घटती है
5 धाराऐं:-  धाराओ से  लवणता परिवर्तित होती है।


    लवणता का वितरण :-
 भू मध्य रेखा से कर्क व् मकर रेखा तक लवणता  बढ़ती है तथा इन रेखाओं से ध्रुवों तक  घटती  है अर्थात उच्चतम लवणता उपोषण कटिबंधीय सागरों में पाई जाती है तथा न्यूनतम लवणता ध्रुवों पर पाई जाती है ।
गहराई में चलने पर उपोषण कटिबंधीय क्षेत्रों में लवणता घटती है तथा ध्रुवीय क्षेत्रों में गहराई की और चलने पर लवणता बढ़ती है।
 सामान्य से अधिक लवणता वाले सागर:-
1 लालसागर की लवणता 37- 41 ग्राम प्रति हजार
2 भूमध्यसागर 38 -39 ग्राम प्रति हज़ार
3  फारस की खाड़ी 37 - 38 ग्राम प्रति हजार सामान्य लवणता वाले क्षेत्र:-(35-36ग्राम प्रति हज़ार)
 1केरेबियन सागर
2 सारगेसो सागर
 3 मेक्सिको की खाड़ी
 सामन्य  से कम लवणता वाले क्षेत्र:-
 1 उत्तरी सागर
2 बाल्टिक सागर
3 आर्कटिक सागर
4 काला सागर
5 केस्पियन सागर
 केस्पियन सागर व् काला सागर को बन्द सागर भी कहा जाता है
 काला सागर व केस्पियन सागर बंध सागर है जिनकी लवणता  स्वच्छ जाल वाली नदियों के मिलने से कम पाई जाती है
विश्व में सर्वाधिक लवणता वाली झिल:-
1 वॉन झील तुर्की 330 ग्राम प्रति हजार
2 मृतसागर 230 ग्राम प्रति हजार
3 ग्रेट साल्ट लेक 220 ग्राम प्रति हजार

          महासागरीय जल का तापमान:-
भूमध्य रेखा पर औसत तापमान 26.7 डिग्री सेल्सियस
महासागरों का औसत तापमान 17.2 डिग्री सेल्सियस
 तापमान को प्रभावित करने वाले कारक:-
 1 सूर्य की किरणें  :-
    तापमान को बढाती हैं
 2 वर्षा :- अधिक वर्षा से तापमान सामान्य बना रहता है
3 नदियां :- जल से तापमान सामान्य रहेगा नदियां तापमान को परिवर्तित करती हैं।
 4 हिमखंड :- उच्च अक्षांशों में  हिम खंड तापमान को कम करते हैं ।
5 स्थल का वितरण :- स्थल खंड महासागरों की तुलना में अधिक गर्मव अधिक ठंडे होते हैं जो तापमान को परिवर्तित करते हैं
    तापमान का वितरण:-  
भूमध्य रेखा से कर्क v मकर रखा तक तापमान बढ़ता है तथा इसके बाद ध्रुवों तक तापमान घटता है
गहराई की और चलने पर तापमान में परिवर्तन आता है
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   महासागरीय  घनत्व
शुद्ध जल का घनत्व = 1ग्राम प्रति घन सेमी
महासागरीय जल का घनत्व = 1.02 ग्राम प्रति घन सेमी
स्वच्छ जल का अधिमतम घनत्व 4 डिग्री सेल्सियस पर तथा महासागरीय जल का अधिकतम घनत्व1.3 डिग्री सेल्सियस पर होता है
घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक:-
1 तापमान:- तापमान बढ़ता है तो घनत्व घटता है
2 वाष्पीकरण :- वाष्पीकरण बढ़ता है तो घनत्व बढ़ता है।
3  लवणता:-  लवणता बढ़ती है तो घनत्व  भी बढ़ता है।

 घनत्व का वितरण:-
भूमध्य रेखा से ध्रुवों की और तापमान में कमी के साथ घनत्व बढ़ जाता है
सतह से गहराई की और चलने पर घनत्व परिवर्तित होता है भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में नीचे की ओर चलने पर अधिक घनत्व मिलता है जबकि ध्रुवीय क्षेत्रों में नीचे की ओर चलने पर घनत्व कम मिलता है जिसके कारण ध्रुवीय क्षेत्रों का पानी निरंतर नीचे की ओर बैठता है।

सम्मान रेखाएं नंबर 1 आईसोहेलाईन /समलवण रेखा :- मानचित्र पर समान लवणता वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा।
 2 आइसोथर्म/समताप रेखा :- मानचित्र पर समान तापमान वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा
3 आईसोपाईक्नल /सम घनत्व रेखा:- मानचित्र पर समान घनत्व वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा।
4 हेलोक्लाईन परत:- महासागर में 300 से 1000 मीटर गहराई वाली परत जिस में लवणता में तेजी से परिवर्तन होता है
5  थर्मोक्लाइन:-  तापमान में परिवर्तन वाली परत।
6 पाइक्नोकलाइन: घनत्व में  परिवर्तन वाली परत।

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