GEOGRAPHY

ज्वालामुखी

          ज्वलमुखी : प्रकार एवं आकृतियाँ

     भूगर्भ में अत्यधिक तापमान के कारण कुछ चट्टानें पिघल कर मैग्मा के रूप में बदल जाती हैं । यह मेग्मा दबाव के कारण धरातल से बाहर निकलता है तो इससे गैस व जलवाष्प वायुमंडल में मुक्त हो जाती है तथा शेष बचे पदार्थ को लावा कहा जाता है इस लावा में कुछ ठोस पदार्थ जैसे ज्वालामुखी राख लेपीली एवं ज्वालामुखी बम आदि होते हैं ।
ज्वालामुखी क्रिया के कारण:- 
1 भूगर्भिक असन्तुलन
2 गैसों की उतपति
3 भूगर्भ में तापमान में वृद्धि
4 दाब में कमी
5 प्लेट विवर्तनीकी
ज्वालामुखी का वर्गीकरण:- उदगार के आधार पर ज्वालामुखी का वर्गीकरण:-  1 केंद्रीय उदगार:- (विस्फोटक) 2 दरारी उद्गार(शांत ज्वालामुखी)।
 1 केंद्रीय उदगार:- (विस्फोटक) 
केंद्रीय या विस्फोट उदगार वाले ज्वालामुखी को विस्फोट की तीव्रता के आधार पर 5 भागों में विभाजित किया गया है-
 i  हवाई तुल्य ज्वालामुखी :- यह सबसे कम विस्फोटक होता है जैसे मोनालोआ ज्वालामुखी हवाई द्वीप पर।
ii स्ट्राम्बोलि ज्वालामुखी :- यह हवाई की तुलना में विस्फोटक होता है जैसे भूमध्य सागर में इटली का स्ट्राम्बोलि ज्वालामुखी। इसे भूमध्य सागर का प्रकाश स्तंभ भी कहते हैं ।
iii वल्केनियनतुल्य ज्वालामुखी :- यह स्ट्रांबोली ज्वालामुखी से भी अधिक विस्फोटक होता है। जैसे वल्केनो ज्वालामुखी इटली।
iv विसुवियस ज्वालामुखी:-  यह वल्केनो की तुलना में और अधिक विस्फोटक होता है। जैसे विसुवियस इटली ।
    इसका उद्गार 79 ई.  में हुआ था इससे इटली के दौ नगर लावा में डूब गए थे। इसका अध्ययन प्लिनी ने किया था अतः इसे प्लीनियन तुल्य  ज्वालामुखी भी कहा जाता है।
v  पीलीयन तुल्य ज्वालामुखी:-  यह ज्वालामुखी सबसे विस्फोटक ज्वालामुखी होता है। जैसे पीली ज्वालामुखी अटलांटिक महासागर।
2 दरारी /शान्त उदगार वाला ज्वालामुखी:- इसमें पतले लावा के शांत उद्गार होने से लावा पठार का निर्माण होता है । जैसे उत्तरी अमेरिका में कोलंबिया का पठार , दक्षिण अमेरिका में पराना पठार एवम् भारत में दक्कन का पठार।

सक्रियता के आधार पर ज्वालामुखी के प्रकार :-
i सक्रिय/जागृत ज्वालामुखी :- वे ज्वालामुखी जिनमें समय-समय पर उद्गार होते रहते है। अथवा
 वर्तमान में उदगार हो रहे है उन्हें सक्रिय ज्वालामुखी कहते है। इस प्रकार
के प्रमुख ज्वालामुखी-भूमध्य सागर में स्ट्रॉमबोली व एटना (इटली),
फिलीपाइन्स में मेयोन,ताल,पिनाटुबो, इक्वेडोर में कोटोपेक्सी हवा द्वीप समूह में मोना लोआ तथा भारत में बैरन
द्वीप हैं।
ii प्रसुप्त ज्वालामुखी:- वह ज्वालामुखी जिसमें वर्तमान में उद्गार नहीं हुए है लेकिन भविष्य में उदगार होने की सम्भावना हो  उन्हें  
सोये हुए / प्रसुप्त ज्वालामुखी कहा जा सकता है। जैसे - इटली का विसुवियस, इंडोनेशिया में क्राकाटोआ,  भारत का नार्कोडम, जापान का फ्यूजियामा प्रमुख प्रसुप्त ज्वालामुखी हैं।
iii मृत ज्वालामुखी:-  कुछ ऐसे ज्वालामुखी हैं जिनमें ऐतिहासिक काल में उद्गार नहीं 
हुए और न ही उदगार होने की सम्भावना है इन्हें विलुप्त ज्वालामुखी कहते है। जैसे - म्यांमार (बर्मा) का माऊंट पोपा
 ईरान का  देवमन्द व् कोहसुल्तान, तंजानिया का  किलीमंजारों प्रमुख विलुप्त ज्वालामुखी है। 

ज्वालामुखी क्रिया से निर्मित स्थलकृतियाँ:-
अ आंतरिक आकृतियाँ:- 

1 बेथोलिथ  -  बड़ा गुम्बद
2 लेकोलिथ - छोटा गुम्बद
3 लोपोलिथ - प्यालेनुमा 
4 फेकोलिथ - लहरदार जमाव
5 सील       - क्षैतिज पट्टी के रूप में जमाव
6 डाइक   - ऊर्ध्वाधर / दिवारनुमा जमाव

ब बाहरी आकृतियाँ :-
1 सिन्डर शंकु - ज्वालामुखी रख से निर्मित शंकु
2 मिश्रित शंकु - राख व् लावा के मिश्रण से निर्मित शंकु
3 परपोषित शंकु- मुख्य शंकु के ढाल पर निर्मित शंकु
4 शील्ड शंकु- शील्ड जेसी आकृति में निर्मित शंकु ।जेसे मोनालोआ।
5 लावा गुम्बद - 
6 लावा पठार
7 क्रेटर - ज्वालामुखी के छिद्र पर निर्मित गर्त
8 कोल्डेरा - क्रेटर का बड़ा रूप।

ज्वालामुखी का विश्व वितरण:-
1 परि प्रशांत महासागरीय मेखला
2 महाद्वीपीय मेखला
3 मध्य अटलांटिक कटक मेखला
4 पूर्वी अफ़्रीकी मेखला

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